
गोंडा के हरधरमऊ तहसील की रहने वाली रश्मि सिंह ने अपने जिस नंबर को शिक्षक भर्ती का फार्म भरते वक्त उसमें दर्ज कराया था वह उनकी परेशानी का सबब बन गया. कोर्ट के आदेश के बाद 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई तो रश्मि की खुशी का ठिकाना नहीं था. लेकिन यह खुशी उस वक्त काफूर हो गई जब रश्मि को पता चला कि भर्ती प्रक्रिया में च्वाइस लॉक करने पर उसका ओटीपी उनके पुराने मोबाइल नंबर पर ही आएगा. उनके चेहरे पर शिकन पड़ गई. वह अपने पुराने नंबर को तो वह बंद करा चुकी थीं. उन्होंने फौरन अपने पुराने मोबाइल नंबर की सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के एजेंट से संपर्क किया. जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के तीन दिन बाद उनका पुराना मोबाइल नंबर शुरू हो पाया. केवल रश्मि ही नहीं, बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को इस समस्या का सामना करना पड़ा है.
बड़ी संख्या में शिक्षित बेरोजगार पुराने मोबाइल नंबर के सिमकार्ड भूल चुके थे. उन्हें उसकी जरूरत नहीं थी. वे नई-नई स्कीमों के चलते दूसरे मोबाइल नंबर ले चुके थे. सिमकार्ड भी ‘लॉक' हो चुके थे. लॉकडाउन में 69 हजार शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने पर उन्हें अपने पुराने नंबर की याद आ ही गई. भर्ती प्रक्रिया में च्वाइस लॉक करने पर ओटीपी पुराने नंबर पर आनी थी. हालांकि, बहुत सारे युवा बेरोजगार भाग्यशाली निकले. उनके नंबर उनकी पुरानी कंपनियों के सिस्टम में उनके नाम से ही दर्ज मिले. उनसे बस औपचारिकता पूरी कराई गई और उन्हें पुराने नंबर मिल गए.
लेकिन उन्हें वापस लौटा दिया गया जिनके पुराने नंबर किसी और को आवंटित हो गए थे. ऐसे बेरोजगार अभ्यर्थियों ने अपने पुराने नंबर पर आवंटित लोगों से संपर्क करके उनसे ओटीपी बताने का निवेदन किया है. लखनऊ में एयरटेल के एआरसी मैनेजर ने बताया कि बीते 10 दिन में करीब 500 से 600 युवाओं ने उनके यहां विजिट किया. सभी का कहना था कि उनका सिमकार्ड घर में गायब हो गया है. शिक्षा विभाग को ऐसे कई अभ्यर्शियों के प्रार्थना पत्र भी मिले हैं जिनमें उन्होंने पुराने नंबर की जगह नए नंबर को दर्ज करने का निवेदन किया है. हालांकि विभाग में अभी यह प्रस्ताव विचाराधीन है.
***