
सरकारी कर्मचारियों से करवाई गलत नोटिंग
सूत्रों के मुताबिक एपी मिश्रा ने भविष्य निधि के पैसे को नियम के विपरीत निवेश करने के लिए इन अधिकारियों से गलत नोटिंग करवाई थी. इस मामले की जांच कर रही एजेंसियों ने घोटाले में शामिल शेयर ब्रोकर कंपनियों के अधिकारियों से भी पूछताछ की है.
दिसम्बर 2016 में एसएमसी के जरिए ही कर्मचारियों का पैसा पीएनबी हाउसिंग में निवेश किया गया था. बाद में 16 जनवरी 2017 को डीएचएफएल यानी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में भी 18 करोड रुपये का निवेश करवाने में भी SMC की भूमिका रही थी. ईओडब्ल्यू अब एसएमसी के अधिकारियों से पूछताछ कर ये जानने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार UPPCL के निवेश के मामले में वो किसकी मदद से दाखिल हुए थे.
इस मामले मे कई चार्टेड अकाउंटेंट (CA) भी जांच के दायरे में हैं. इन लोगों ने कई फर्जी कंपनियां बनाई थी. इन कंपनियों में निवेश के लिए कमीशन के रूप में डीएचएफएल की तरफ से करीब 65 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया था. अब ईओडब्ल्यू की जांच मे इन अधिकारियों पर भी गाज गिरनी तय है.
क्या है मामला
बता दें कि कुछ ही दिन पहले यूपीपीसीएल में ईपीएफ घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. सीबीआई के जांच शुरू होने से पहले फिलहाल ईओडब्ल्यू इस केस की जांच कर रही है. दरअसल, यूपी शासन के अधिकारियों ने बिजली कर्मचारियों की कमाई को एक विवादास्पद कंपनी डीएचएफएल में निवेश कर दिया था. इस मामले में अब तक तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी, ट्रस्ट सचिव पीके गुप्ता और पूर्व एमडी एपी मिश्र की गिरफ्तारी हो चुकी है.