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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण के संविधान संशोधन बिल पर बहस के बीच हस्तक्षेप करते हुए इस बिल को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज किया. अरुण जेटली ने कहा कि विपक्षी दलों के घोषणा पत्र में कई बार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण की बात कही गई है जो कि जुमला थी. जेटली ने कहा कि सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन नहीं होता.
जेटली ने कहा कि कांग्रेस कह रही है कि वो इस बिल से सैद्धांतिक रूप से सहमत है लेकिन सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण के कई बार प्रयास हुए लेकिन उनके प्रयास इस रूप में नहीं थे कि कोर्ट में ठहर पाते. जेटली ने इसके लिए नरसिंहराव सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन व समय-समय पर राज्य सरकारों द्वारा इस हेतु बनाए गए कानूनों का जिक्र करते हुए ये बात कही.
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों ने या तो नोटिफिकेशन निकाला या सामान्य कानून बनाया लेकिन उसका अधिकार का सोर्स क्या था. सोर्स था आर्टिकल 15 और 16 लेकिन उसके तहत सामाजिक-शैक्षणिक पिछड़ों को ही आरक्षण दे सकते हैं. जाति इस पिछड़ेपन का पैमाना मानी गई.
जेटली ने कहा कि नरसिंहराव सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का नोटिफिकेशन निकाला लेकिन उसका कोई प्रावधान संविधान में था ही नहीं. इसलिए न्यायपालिका ने उसे नहीं स्वीकारा.
अरुण जेटली ने समझाया कि सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की जो सीमा लगाई है वो सीमा केवल जाति आधारित आरक्षण के लिए लगाई. इसके लिए तर्क ये था कि सामान्य वर्ग के लिए कम से कम 50 फीसदी तो छोड़ी जाएं वर्ना एक वर्ग को उबारने के लिए दूसरे वर्ग के साथ भेदभाव हो जाता. इस लिहाज से मौजूदा बिल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पीछे की भावना के खिलाफ नहीं है.
गौरतलब है कि सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में संशोधित बिल पेश किया. इस दौरान जब अरुण जेटली ने कांग्रेस और वाम दलों पर जमकर हमला बोला.