
उर्दू की नामचीन लेखिका हमीदा सालिम का रविवार को निधन हो गया. वो 93 साल की थीं.
पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि हमीदा ने जामिया नगर में अपने आवास पर दिन में करीब साढ़े तीन बजे अंतिम सांस ली. वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं. उन्हें सोमवार को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से पहली महिला पोस्ट ग्रेजुएट हमीदा ने कई किताबें लिखीं. इनमें ‘शौरिस-ए-दौरां’, ‘हम साथ थे’, ‘परछाइयों के उजाले’ और ‘हरदम रवां जिंदगी’ प्रमुख हैं. उन्होंने एएमयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा कुछ दूसरे प्रमुख संस्थानों में पढ़ाया भी. हमीदा मशहूर शायर मजाज लखनवी और उर्दू साहित्याकार सफियां जां निसार अख्तर की बहन और गीतकार जावेद अख्तर की मौसी थीं.
वो उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में रूदौली गांव के एक जमींदार परिवार में साल 1922 में पैदा हुईं. हमीदा ने लखनउ के आई. टी. कॉलेज से बीए और एएमयू से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की. बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल की.
अपने भाई मजाज के निधन के बाद हमीदा ने पहली बार कलम उठाई और ‘जग्गन भैया’ नाम से बेहतरीन लेख लिखा. मजाज को परिवार में प्यार में जग्गन के नाम से पुकारा जाता था क्योंकि रात में वह देर से सोते थे. इस लेख को मजाज के बारे में लिखे गए सबसे शानदार लेखों में से एक माना जाता है.
इनपुट भाषा