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हेलसिंकी में मजबूत हुई ट्रंप-पुतिन की दोस्ती, भारत को होंगे ये फायदे

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सोमवार को फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में पहली बार मुलाकात हुई. इस बैठक के साथ ही दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से चली आ रही तल्खी भी खत्म हो गई. इसे भारत अपने हित में देखता है.

हेलसिंकी में ट्रंप और पुतिन हेलसिंकी में ट्रंप और पुतिन
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सोमवार को फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में मुलाकात हुई. इस बैठक के साथ ही दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से चली आ रही तल्खी भी कम हो गई. इसे भारत अपने हित में देखता है. माना जा रहा है कि ट्रंप और पुतिन की दोस्ती मजबूत होने से भारत की विदेश नीति को मजबूती मिलेगी.

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मालूम हो कि सीरिया में केमिकल हमले और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल को लेकर दोनों देश एक दूसरे के आमने-सामने आ गए थे. इसके बाद दोनोें देशों के बीच तीखी बयानबाजी भी देखने को मिली थी. इससे भारत की चिंता बढ़ना भी लाजमी था, क्योंकि दोनों ही देश भारत के अहम सहयोगी हैं.

भारत ने किया स्वागत

रूस और अमेरिका के बीच एक झटके में सुधरे रिश्तों का भारत ने स्वागत किया है, क्योंकि दोनों महाशक्तियों के बीच टकराव की स्थिति ने भारत की चिंता बढ़ा दी थी. भारत के सामने अपने दोनों अहम सहयोगियों को साथ लेकर चलना चुनौतीपूर्ण बन गया था.

इसके अलावा अमेरिका से टकराव पैदा होने के चलते रूस के चीन और पाकिस्तान के करीब जाने से भी भारत चिंतित था. ऐसी स्थिति में भारत के आतंकवाद के खिलाफ अभियान को नुकसान पहुंच सकता था. साथ ही अमेरिकी प्रतिबंध के चलते रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने में भी भारत को दिक्कत होने वाली थी. इससे भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत करने की कोशिश को झटका लगता.

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ऐसे हालात में अगर भारत रूस से रिश्ता रखता, तो अमेरिका नाराज होता और यदि अमेरिका से करीबी बढ़ाता, तो रूस नाराज होता. मौजूदा हालत को देखते हुए भारत के लिए अपने किसी भी सहयोगी को छोड़ना संभव नहीं है. दोनों में से किसी भी सहयोगी की नाराजगी से भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता पाने की कोशिश को भी झटका लग सकता था.

इसके अलावा अमेरिकी दबाव में आकर भारत को रूस की कंपनियों के साथ कारोबार पर भी प्रतिबंध लगाना पड़ता. इससे भारत में रूसी कंपनियों के सहयोग से चल रहे प्रोजेक्ट प्रभावित होते. सोमवार को ट्रंप और पुतिन के बीच जिस तरह से सकारात्मक वार्ता हुई, वो भारत के लिए बेहद अहम हैं.

चीन के साथ ट्रेड वॉर, उत्तर कोरिया के साथ शांति वार्ता और ईरान के साथ परमाणु समझौता टूटने के बाद डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की यह पहली मुलाकात अमेरिका की बदलती विदेश नीति की ओर भी इशारा कर रही है. इस बैठक के बाद ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल के आरोपों से पुतिन को क्लीन चिट भी दे दी है.

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