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पाकिस्तान के सबसे बड़े आतंकी के मारे जाने से खामोश हो गया फजलुल्ला का 'मुल्ला रेडियो'

आतंकी फजलुल्ला वही है, जिसने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा खून के आंसू रुलाया. हालांकि फजलुल्ला को पाकिस्तान ने ही पाला-पोशा था और उसको अपने यहां पनाह दी थी. पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में 150 से ज्यादा मासूम बच्चों का कत्लेआम करने में फजलुल्ला का ही हाथ था.

खामोश हो गया मुल्ला रेडियो खामोश हो गया मुल्ला रेडियो
राम कृष्ण
  • इस्लामाबाद,
  • 15 जून 2018,
  • अपडेटेड 9:48 AM IST

पाकिस्तान के सबसे खूंखार आतंकी मुल्ला फजलुल्ला के मारे जाने से 'मुल्ला रेडियो' खामोश हो गया है. अमेरिका ने ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के सरगना फजलुल्ला को मार गिराया है. अमेरिका ने अफगानिस्‍तान के पूर्वी कुनार प्रांत में आतंकी मुल्‍ला फजलुल्‍लाह को निशाना बनाया.

आतंकी फजलुल्ला वही है, जिसने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा खून के आंसू रुलाया. हालांकि फजलुल्ला को पाकिस्तान ने ही पाला-पोशा था और उसको अपने यहां पनाह दी थी. पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में 150 से ज्यादा मासूम बच्चों का कत्लेआम करने में फजलुल्ला का ही हाथ था.

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पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी था फजलुल्ला

पाकिस्तान में आतंक के सबसे खूंखार चेहरे का नाम है फजलुल्लाह और इसके एक इशारे पर तालिबान मरने-मारने में उतारु हो जाता है. ये वो शख्स था, जिसने पाकिस्तान का स्विट्जरलैंड कही जाने वाली स्वात घाटी को न सिर्फ नर्क में तब्दील कर दिया, बल्कि उसके नापाक मंसूबों ने कई बार पाकिस्तान को खून के आंसू रुलाया.

पाकिस्तान की स्वात घाटी. बेहद ही खूबसूरत इस इलाके को फजलुल्लाह ने आतंक का गढ़ बना दिया था. रोज-रोज अपने नए फतवों से लोगों के दिलों में खौफ का वो मंजर पैदा कर दिया कि फजल्लुलाह के नाम से भी लोग कांपने लगे थे. यहां हर किसी के चेहरे पर फजल्लुलाह का डर और खौफ का साफ दिखाई देता था. औरतें घर से बुर्का डालकर निकलतीं और बच्चे स्कूल जाने से डरते थे.

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फजलुल्लाह ने बनाया मुल्ला रेडियो

अपने ससुर सूफी मुहम्मद के साथ मिलकर फजलुल्लाह ने स्वात घाटी में आतंक की हुकूमत काबिज कर दी. रेडियो तालिबान पर आए दिन अपने फतवों से स्वात घाटी में मजहब के नाम पर घिनौना खेल खेला. कभी महिलाओं को घर से निकलने का फतवा, कभी बच्चों को स्कूल ना भेजने का फरमान तो कभी संगीत सुनने पर मौत की सजा देने का ऐलान.

हर फरमान के साथ फजल्लुलाह का चेहरा और भी खतरनाक होता गया. जिस किसी ने फजल्लुलाह के फरमानों की अनदेखी करने की जुर्रत की तो उसे मिली मौत की सजा. तो औरतों को मिली सरेआम कोड़ों की सजा. जिसके बाद तो किसी ने भी फजल्लुलाह के सामने सिर उठाने की हिम्मत नहीं की.

फजल हयात था पैदाइशी नाम

फजलुल्ला ने ही पाकिस्तान के पेशावर स्थित स्कूल में 150 से ज्यादा मासूम बच्चों का कत्लेआम किया था. इसका पैदाइशी नाम फजल हयात था. साल 1974 में पाकिस्तान के स्वात जिले में पैदा हुआ यह पश्तून उग्रवादी देवबंद सुन्नी इस्लाम का समर्थक था और पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करवाना चाहता था. बेहद कट्टर विचारधारा का फजलुल्लाह उसी समुदाय से आता है, जिस समुदाय से नोबल प्राइज विजेता मलाला यूसुफजई आती हैं.

फजलुल्लाह को पाकिस्तान की सरकार ने साल 2005 में गिरफ्तार कर लिया था. इस दौरान उसने जेल में ही रहकर तमाम धार्मिक किताबें पढ़ीं. वहां से ही उसके कट्टरवाद की शुरुआत हुई. जेल से छूटने के बाद उसने पाकिस्तान की सरकार और कट्टरपंथियों के बीच समझौता करवाया, जिसके एवज में पाकिस्तान सरकार ने उसे मालकंड जिले में शरिया कानून लागू करने की इजाजत दे दी.

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4500 से ज्यादा लड़ाकों की खड़ी कर ली थी फौज

इसके बाद से फजलुल्ला धीरे-धीरे स्वात घाटी के इलाके में मजबूत होता चला गया. फिर उसने खूंखार आतंकी बैतुल्ला महसूद से हाथ मिला लिया. साल 2007 तक उसने 4500 लड़ाकों की फौज बना ली और स्वात घाटी के 59 गांवों पर अपनी हुकूमत चलाने लगा. 10 जुलाई 2009 को पाकिस्तानी फौज के हमले में वह जख्मी तो हो गया, लेकिन बच निकला था.

पाकिस्तानी सेना ने करोड़ों रुपये की लागत से बने उसके मदरसे को नेस्तनाबूत कर दिया. इसके हमले के बाद फजलुल्ला अफगानिस्तान चला गया और वहीं से ऑपरेशन चलाने लगा. अफगानिस्तान में रहकर ही वो पाकिस्तानी फौजों पर हमले करता था.

शरिया कानून का था हिमायती

फजलुल्लाह शुरू से ही कड़े शरिया कानून का हिमायती था और उन्हें तोड़ने वालों को कड़ी सजा देता था. इनमें गला काट कर मौत की सजा देना तक शामिल था. वह संगीत, टीवी, सिनेमा वगैरह का घोर विरोधी था और ऐसा करने वालों को सजा देता है. उसने स्वात में कंप्यूटर की तमाम दुकानों में आग लगवा दी थी. फजलुल्लाह खास तौर पर मुस्लिम महिलाओं की तालीम और उनके स्कूल जाने के खिलाफ था. उसने लड़कियों के दस स्कूलों को बम से उड़ा दिया था.

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जबकि करीब 170 स्कूलों को नेस्तनाबूत कर दिया था. मुल्ला फजलुल्लाह के ही कहने पर 2012 में मलाला पर हमला हुआ था. जब फजलुल्लाह के नाम की तूती बोला करती थी तब पुलिस छोड़िए पाक सेना तक उसके गढ़, खास तौर पर उसके हैडक्वार्टर का रुख करने से घबराती थी.

ये वही हैडक्वार्टर था जहां से फजलुल्लाह तमाम खतरनाक साजिशें रचता. ये वही अड्डा था जहां फजलुल्लाह अपने कैदियों को बंदी बनाकर उनपर जुल्म ढहा था. ये वही जगह थी जहां बैठ कर वो मुल्ला रेडियो के जरिए तमाम मौत के फरमान जारी करता.

कई बार आ चुकी है मरने की खबर

इससे पहले भी पाकिस्तान तालिबान सरगना के मारे जाने की खबरें आती रही हैं, लेकिन वो सभी खबरें झूठी निकलीं. साल 2016 और साल 2015 में खबर आई थी कि खैबर एजेंसी के तिराह घाटी में हुए हवाई हमलों में मारे जाने वालों में फजलुल्लाह भी शामिल है, लेकिन उसके बाद टीटीपी ने इसे अफवाह बताया था और कहा था कि उनका चीफ अभी जिंदा है.

ठीक इसी तरह जून 2009 में भी फजलुल्लाह के मारे जाने की खबर आई थी, लेकिन अमेरिकी मीडिया की मानें तो इस बार शायद फजलुल्लाह बच नहीं पाया.

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