
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष होंगे जो इस यात्रा के दौरान किसी और देश की यात्रा नहीं करेंगे. वे अमेरिका से सीधे भारत आएंगे और वापस अमेरिका चले जाएंगे. यह महत्वपूर्ण संकेत है कि ट्रंप चुनावी वर्ष में भारत के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत बनाने में व्यस्त हैं.
हालांकि, ट्रंप की इस भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों में कोई बड़ा व्यापार सौदा नहीं होने जा रहा है, लेकिन एक उच्च पदस्थ सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति की यह पहली 'जनोन्मुखी' यात्रा होगी.
भारत के लोगों से संवाद बढ़ाना लक्ष्य
इस यात्रा में ट्रंप का फोकस भारत के लोगों के साथ संवाद करने का है. इसके जरिए अमेरिका लौटकर राष्ट्रपति ट्रंप भारतीय अमेरिकी मतदाताओं के बीच अपना प्रभाव बनाने में बढ़त हासिल कर सकते हैं.
ट्रंप के साथ उनकी बेटी इवांका ट्रंप भी अपने पति के साथ आ रही हैं. उनके आने की पुष्टि करते हुए सूत्रों ने कहा, 'उन्होंने मोदी के साथ अपनी मुलाकात को स्नेहपूर्वक याद किया'. ट्रंप के साथ अमेरिका की 'फर्स्ट लेडी' यानी उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप के अलावा 12 लोगों का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा.
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इस प्रतिनिधि मंडल में भारत में अमेरिकी राजदूत केन जस्टर, कॉमर्स विभाग के सेक्रेटरी विल्बर रोज, एनर्जी विभाग के सेक्रेटरी डैन ब्रोइलेट, राष्ट्रपति के सहायक और स्टाफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिक मुलवेनी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ'ब्रायन और राष्ट्रपति की सहायक और सलाहकार इवांका ट्रंप शामिल हैं.
इनके अलावा राष्ट्रपति के सहायक और राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार जारेड कुशनर, राष्ट्रपति के सहायक और वरिष्ठ पॉलिसी एडवाइजर स्टीफन मिलर, राष्ट्रपति के सहायक और डिजिटल रणनीति के वरिष्ठ सलाहकार डैन स्कैविनो, राष्ट्रपति के सहायक और प्रथम महिला के चीफ ऑफ स्टाफ लिंडसे रेनॉल्ड्स, राष्ट्रपति के सहायक और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार नीति के लिए विशेष प्रतिनिधि और चीफ ऑफ स्टाफ के वरिष्ठ सलाहकार रॉबर्ट ब्लेयर भी होंगे.
ऊर्जा पर बड़ी साझेदारी की आस
इस यात्रा की उपलब्धि के संदर्भ में ऊर्जा के मोर्चे पर बहुत बड़ी साझेदारी होने जा रही है. एक सूत्र ने कहा, 'यह केवल कच्चे तेल और एलएनजी को लेकर नहीं है, अमेरिका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा निर्यातक के रूप में उभर रहा है, यह बड़ी भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के समय ऊर्जा कीमतों को कम और स्थिर रखने को सुनिश्चित करेगा.'
हाल के वर्षों में हाइड्रो-कार्बन आयात बढ़कर 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है और अमेरिका भारत के लिए पिछले कुछ साल में ही कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. छह साल पहले यह आंकड़ा शून्य था.
इंडिया टुडे की सूचना के अनुसार भारत निकट भविष्य में 10 मिलियन टन हाई ग्रेड कोयले की खरीद करने की योजना बना रहा है, जिसकी कीमत 2 बिलियन अमेरिकी डालर होगी. यह भारत के इस्पात उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होगा.
यात्रा के दौरान कुछ व्यापारिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, एलएनजी बुनियादी ढांचे और पाइपलाइन के क्षेत्र में एक्सॉनमोबाइल और इंडियन ऑयल के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
रणनीति और रक्षा क्षेत्र
अमेरिका के ट्रंप युग में रणनीतिक साझेदारी में काफी वृद्धि हुई है. एक अधिकारी ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के कई स्तंभ हैं, जिनमें से रणनीतिक पहलू सबसे अहम है. संयुक्त राज्य अमेरिका से सैन्य उपकरणों की खरीद पहले ही पांच वर्षों में 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है. यह साझेदारी केवल 'मात्रा' की दृष्टि से नहीं, बल्कि 'गुणवत्ता' की दृष्टि से भी अहम है.
द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास के लिहाज से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा साझेदार है. किसी भी अन्य देश की अपेक्षा अमेरिका के साथ अधिक सैन्य अभ्यास हुए हैं.
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सूत्रों के अनुसार, भू-स्थानिक सहयोग के लिए बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते (BECA) पर बातचीत एक प्रगति पर है. वार्ता का अगला दौर मार्च 2020 में होगा. भारत इस वार्ता को लेकर आशान्वित है. इससे भारत के रक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी.
आतंकवाद पर भी होगी चर्चा
आतंकवाद विरोध और खुफिया साझेदारी पर आपसी सहयोग दोनों पक्षों के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र होगा. सूत्रों का कहना है कि साइबर क्राइम, ग्लोबल सप्लाई चेन सिक्योरिटी, बॉर्डर सिक्योरिटी और देश की सीमा के बाहर अपराध जैसे मुद्दों पर समझौते हो सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र में भी अमेरिका पांच प्रमुख देशों में है जहां पर भारत मसूद अजहर के खिलाफ अमेरिकी समर्थन हासिल कर रहा है.
व्यापार पर क्या होगा?
इंडिया टुडे के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों पक्ष 'छोटे पैकेज' के लिए तैयार थे, लेकिन ट्रंप प्रशासन अब 'बड़ी डील' चाहता है. बड़े पैकेज में भी दोनों देशों के लिए अवसर हैं. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कम टैरिफ और भारत के लिए एक तरजीही व्यापारिक समझौता हो सकता है.'
बड़े वैश्विक संकट के बीच भारत-अमेरिका व्यापार पिछले वर्ष 10% बढ़ा है. एक अधिकारी ने कहा, 'व्यापार घाटा भी बहुत बड़ा नहीं है. अमेरिका की तरफ से व्यापार को लेकर संवेदनशीलता है जिस पर भारत काफी गौर कर रहा है.' अमेरिका के लिए व्यापार में असंतुलन और बाजार तक पहुंच बनाना बड़ी चिंता का विषय है.
शुक्रवार को अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, 'भारत के साथ व्यापार और आर्थिक संबंध संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है, और मुझे लगता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजार तक पहुंच भारत सरकार के लिए महत्वपूर्ण है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे बीच यह संतुलन सही रूप में रहे.'
H1B वीजा मुद्दा भारतीय पक्ष के लिए चिंता का विषय है और इसे प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान उठाया जाएगा.
CAA/NRC और कश्मीर
राष्ट्रपति ट्रंप पीएम मोदी के साथ वार्ता के दौरान नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (NRC) का मुद्दा उठाएंगे.
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, 'मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप अपनी सार्वजनिक टिप्पणी में और फिर निश्चित रूप से निजी तौर पर लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता की हमारी साझा परंपरा के बारे में बात करेंगे. वह इन मुद्दों को उठाएंगे, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा, जो अमेरिकी प्रशासन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.'
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उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैंने कहा, हमारे पास हमारे सार्वभौमिक मूल्यों और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए यह साझा प्रतिबद्धता है. भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों के लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है और हम उन परंपराओं को बनाए रखने के लिए भारत को प्रोत्साहित करते रहेंगे.'
अमेरिका पहले भी इन मुद्दों पर चिंता व्यक्त कर चुका है. एक अधिकारी ने कहा, 'मुझे लगता है कि राष्ट्रपति इन मुद्दों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठकों में बात करेंगे और यह याद रखना चाहिए कि दुनिया अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं को जारी रखने, धार्मिक अल्पसंख्यकों के सम्मान के लिए भारत की तरफ देख रही है. बेशक, धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सम्मान और सभी धर्मों के लिए बराबरी भारतीय संविधान में है.'