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येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के ट्रंप के फैसले के बाद धधकने लगी संघर्ष की आग, 16 जख्मी

येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के ट्रंप के फैसले के बाद फिलिस्तीनियों ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उनकी इजरायली सुरक्षा बलों के साथ झड़प भी हुई. इसमें कम से कम 16 फिलिस्तीनी घायल हो गए.

इजरायली सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष इजरायली सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष
राम कृष्ण
  • येरूशलम,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST

येरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बाद से संघर्ष की आग फिर से धधकने लगी है. इसको लेकर गुरुवार को वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उनकी इजरायली सुरक्षा बलों के साथ झड़प भी हुई. इसमें कम से कम 16 फिलिस्तीनी घायल हो गए. वहीं, इजरायल ने इस बढ़े तनाव को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दी है.

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गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले को लेकर फिलिस्तीन में भी जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ. इससे पहले हमास ने येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के ट्रंप के फैसले को युद्ध की घोषणा करार दिया था. वहीं, क्षेत्र में नए सिरे से आंदोलन का आह्वान किया गया है. ट्रंप के फैसले के बाद से क्षेत्र में एक बार फिर से संघर्ष शुरू हो गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले के बाद से पैदा हुई अनिश्चितता के बीच इजरायल ने पश्चिमी तट पर सैंकड़ों की संख्या में अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं. पश्चिमी तट के शहर रामल्ला में एक विशाल प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है. इस बीच बुधवार रात हजारों लोगों ने हमास शासित गाजा पट्टी में किया और अमेरिकी व इजरायली झंडे जलाए. प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ नारेबाजी भी की.

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फिलीस्तीन के प्रधानमंत्री डॉ रामी हमदल्ला ने भी ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि यरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने का अमेरिकी राष्ट्रपति का फैसला अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है. इसके अलावा ट्रंप की इस निर्णय की कई देशों ने आलोचना की है, जिसमें अमेरिका के कई सहयोगी और साझेदार देश भी शामिल हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रजब तयब एर्दोआन ने आगाह किया कि इससे क्षेत्र आग के गोले मे बदल जाएगा.

वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया और दूसरे देशों से भी इसका अनुसरण करने को कहा. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका को पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने की पारंपरिक भूमिका के लिए अयोग्य बनाता है. सऊदी अरब ने ट्रंप के इस कदम को अनुचित और गैर जिम्मेदाराना करार दिया है.

इस बीच पूर्वी यरूशलम और पश्चिमी तट समेत कई क्षेत्रों में फिलिस्तीनी दुकानें बंद रहीं. आम हड़ताल के आह्वान के बाद बृहस्पतिवार को स्कूल भी बंद रहे. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने कहा कि वह इस घोषणा और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित करने के कदम से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शांति की संभावनाएं तलाशने की दिशा में यह मददगार साबित नहीं होगा.

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इसके अलावा जर्मनी ने कहा कि वह ट्रंप के इस फैसले का समर्थन नहीं करता. उधर, ट्रंप की घोषणा के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को एक बैठक बुलाई है. सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम आठ सदस्यों ने वैश्विक निकाय से एक विशेष बैठक बुलाने की मांग की. बैठक की मांग करने वाले देशों में दो स्थायी सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस तथा बोलीविया, मिस्र, इटली, सेनेगल, स्वीडन, ब्रिटेन और उरुग्वे जैसे अस्थायी सदस्य शामिल हैं.

 

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