
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. देश के कई हिस्सों में लोग इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. वहीं अमेरिका का कहना है कि वह इस कानून को लेकर बने हालात पर काफी करीब से नजर बनाए हुए है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है, 'हम नागरिकता संशोधन अधिनियम के हालात पर नजर बनाए हुए हैं. हम अधिकारों की रक्षा और सम्मान करने का आग्रह करते हैं. हम प्रदर्शनकारियों से हिंसा से दूर रहने का भी आग्रह करते हैं. धार्मिक स्वतंत्रता और कानून के तहत समान उपचार के लिए सम्मान, ये दो सिद्धांत हमारे लोकतंत्रों का मूल हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह करता है.'
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि वह भारत के नागरिकता (संशोधन) कानून के प्रभाव की करीब से समीक्षा कर रहा है. महासचिव अंतानियो गुतेरेस के उपप्रवक्ता फरहान हक ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'हमें इस बात की जानकारी है कि भारतीय संसद के उच्च और निचले सदन ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया है और हम इस संबंध में सार्वजनिक रूप से व्यक्त की जा रही चिंताओं से भी अवगत हैं. संयुक्त राष्ट्र कानून के संभावित परिणामों को लेकर विश्लेषण कर रहा है.'
भारत-जापान समिट पर पड़ा असर
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का असर भारत-जापान समिट पर पड़ा है. यह समिट असम के गुवाहाटी में होनी थी, लेकिन जापानी के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अपना भारत दौरा स्थगित कर दिया है. वहीं भारत में नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए अमेरिका समेत कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की थी. जिसमें अपने देश के नागरिकों को असम न जाने की सलाह दी गई थी.