
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनावों की काउंटिंग जारी है. इस बार 16 नगर निगमों के लिए वोटिंग हुई है, जबकि 2012 में कुल 12 नगर निगम थे, जिनमें से 10 पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था. इस बार भी शुरुआती रुझानों में बीजेपी लीड करती हुई नजर आ रही है.
हालांकि, फाइनल रिजल्ट घोषित होने के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि बीजेपी के खाते में मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षद के कितनी सीटें गईं. लेकिन 2012 के चुनावी नतीजों को देखा जाए तो बीजेपी मजबूत स्थिति में रही है. इसी साल विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ को मिली, जिसके बाद ये चुनाव उनकी पहली परीक्षा के तौर पर भी देखा जा रहा है.
यूपी में नगर निगमों की बात की जाए तो 2012 में बीजेपी का डंका बजा था. पिछली बार कुल 12 नगर निगमों में महापौर पद के लिए चुनाव हुए थे, जिनमें से 10 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि दो महापौर निर्दलीय जीते थे. वहीं 12 नगर निगमों में पार्षद के 980 पदों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने 304 सीटें जीती थीं.
बीजेपी ने मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा, कानपुर नगर, झांसी, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में मेयर पद पर जीत हासिल की थी. जबकि बरेली और इलाहाबाद में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर आईएस तोमर और अभिलाषा ने जीत दर्ज की थी.
इस बार मथुरा, फिरोजाबाद, फैजाबाद और सहारनपुर के रूप में चार और नगर निगम क्षेत्र बनाए गए हैं, जहां पहली बार निकाय चुनाव हुए हैं.
नगर पालिका में भी रहा बीजेपी का वर्चस्व
नगर पालिका अध्यक्ष पद की बात की जाए तो 2012 में इस पर भी बीजेपी सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी थी. कुल 194 अध्यक्ष पदों में से 42 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि 130 सीटों पर निर्दलीय या दूसरे राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने थे. वहीं 15 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने बाजी मारी थी.
नगर पंचायतों की बात की जाए तो 2012 में बीजेपी ने कुल 423 सीटों में से 36 पर जीत दर्ज की थी. वहीं नगर पालिका परिषद सभासद के कुल 5077 पदों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने 506 सीटें जीती थीं. जबकि कांग्रेस ने 179 सीटों पर कब्जा जमाया था. साथ ही 4323 सीटें निर्दलीय अथवा समर्थित प्रत्याशियों ने जीती थीं.
हालांकि, इस बार पहली बार बहुजन समाज पार्टी ने अपने टिकट पर निकाय चुनाव में उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं सपा और कांग्रेस भी अपने-अपने पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रही हैं. मगर, नगर निगमों से लेकर नगर पालिकाओं में एक दल के रूप में बीजेपी का दबदबा रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि योगी के राज में भारतीय जनता पार्टी अपने चुनावी नफे पर बोनस हासिल कर पाती है या फिर टैक्स स्लैब का बदलाव उसकी सीट संख्या को नुकसान पहुंचाता है?