
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान दिए गए 53 लोगों को यश भारती सम्मान पर विवाद खड़ा हो गया है. सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव ने 53 लोगों को मनमाने ढंग से यश भारती पुरस्कार दिया. दरअसल नूतन ठाकुर ने आरटीआई के जरिए संस्कृति विभाग से जानकारी मांगी थी कि वर्ष 2016-17 के लिए पुरस्कार देने के लिए किस तरह के मानदंड तय किए गए थे.
सूचना अधिकार की जानकारी के मुताबिक साल 2016-2017 के लिए यश भारती पुरस्कार को लेकर 20 अक्टूबर 2016 को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई. बैठक में कुल 54 नाम फाइनल हुए.
नूतन ठाकुर के आरोपों के मुताबिक अखिलेश यादव ने इसके बाद इसमें बगैर कोई कारण बताए एक सदस्य का नाम काट दिया तथा अपनी मर्जी से 23 नए नाम जोड़ दिए. सबूतों के मुताबिक इसमें से 4 नाम हाथ से लिखकर बनाए गए फिर बिना किसी आधार के 12 नाम और बढ़ाए गए. इसके बाद कई चरणों में इसमें कई नए नामों को शामिल किया गया.
आरटीआई की जानकारी के मुताबिक इन नामों को बढ़ाये जाने के पीछे ना तो कहीं से कोई सिफारिश थी और ना ही किसी नए नियम कायदे का पालन किया गया था. लिहाजा यश भारती सम्मान के नामों पर विवाद भी पैदा हो गया है. आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक यश भारती पुरस्कार देने में अखिलेश यादव सरकार ने न सिर्फ पूरी तरह से मनमर्जी चलाई बल्कि किसी भी तरह नियम कायदे को फॉलो नहीं किया. इन आरोपों के बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से किसी भी तरीके का सफाई या बयान नहीं दिया गया है.