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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब नतीजों का इंतजार लगभग खत्म हो चुका है. वोटों की गिनती जारी है. उत्तराखंड की बात करें तो यहां इस बार यहां मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच है. जहां सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में चुनावी मुकाबले में उतरी थी, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी.
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उत्तराखंड में विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी है. बीजेपी ने अभी तक जहां 25 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस ने 7 सीटों और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी चुनावी मैदान मार लिया है. रूझान में अभी बीजेपी 32, कांग्रेस 4 और अन्य 2 सीटों पर आगे चल रहे हैं. इस बीच बड़ी खबर ये है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत को हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट से करारी शिकस्त मिली है. बीजेपी के स्वामी यतीश्वरानंद और राजेश शुक्ल ने हरीश रावत को बड़े अंतर से मात दी है.
वहीं जनता ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के खिलाफ जनादेश का फैसला सुनाया है. रानीखेत से कांग्रेस प्रत्याशी करन माहरा ने अजय भट्ट को चुनावी मैदान में मात दे दी है.
राज्य में कांग्रेस की हार के बाद हरीश रावत ने शनिवार को राज्यपाल के.के. पॉल से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया. बताते चलें कि इस बार हरीश रावत दो विधानसभाओं से चुनाव मैदान में उतरे थे. वहीं नैनीताल से बीजेपी के संजीव आर्य और भीमताल से कांग्रेस से बगावत कर चुनावी मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी राम सिंह कैड़ा चुनाव जीत चुके हैं.
कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हुए उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत 6267 वोटों से आगे चल रहे हैं. वहीं बीजेपी लालकुआं, नैनीताल, बाजपुर, गदरपुर, बागेश्वर और कपकोट सीट से भी जीत चुकी है.
मालूम हो कि 70 सदस्यीय उत्तराखंड विधानसभा में वोटों की गिनती के लिए 15 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. इस बार उत्तराखंड में अभी तक का सबसे अधिक मतदान हुआ. इस बार के चुनाव में 68 फीसदी मतदान हुआ है. राज्य में साल 2012 के चुनाव में 67.22 फीसदी मतदान हुआ था.
मोदी लहर के आगे राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से ढेर हो गई. शुरूआती रूझानों के आने के बाद ही प्रदेश कांग्रेस के दफ्तरों में सन्नाटा पसर गया. मुख्यमंत्री हरीश रावत के दोनों विधानसभाओं से हारने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता बेहद निराश हैं. वहीं संगठन भी हार के कारणों पर चर्चा की बात कह रहा है. बताते चलें कि शनिवार सुबह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने जीत का दावा करते हुए फिर से रावत सरकार के आने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, प्रदेश की जनता बीजेपी के एजेंडे को भूली नहीं है. जनता जानती है कि पिछले साल बीजेपी ने राज्य सरकार को गिराने की हर संभव कोशिश की थी. लिहाजा इस बार प्रदेश की जनता कांग्रेस को प्रचंड बहुमत दिलवाकर बीजेपी को सबक सिखाने के मूड में है.
637 उम्मीदवार चुनाव मैदान में
इस बार कुल 637 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें 575 पुरुष, 60 महिला प्रत्याशी और दो अन्य प्रत्याशी शामिल हैं. यहां सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला
है. हालांकि बीएसपी, उत्तराखंड क्रांति दल, शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं. मुख्यमंत्री हरीश रावत को छोड़कर अब बीजेपी नेता सतपाल महाराज, अजय भट्ट,
किशोर उपाध्याय, हरक सिंह रावत और बीसी खंडूरी जैसे दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला होना बाकी है.
एग्जिट पोल में बीजेपी आगे
इंडिया टुडे और एक्सिस माई इंडिया के एक्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक उत्तराखंड में इस बार बीजेपी को बहुमत मिलने जा रहा है. एक्जिट पोल आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश की
70 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी सर्वाधिक सीट 46-53 पर जीत दर्ज कर सकती है. वहीं एग्जिट पोल के मुताबिक राज्य में सत्तारू़ढ़ कांग्रेस को जनता ने बाहर का रास्ता
दिखाने का संकेत दिया है. एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस को महज 12 से 21 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है.
कहीं बीजेपी तो कहीं कांग्रेस को दिखाया आगे
वहीं टीवी-18 द्वारा किए गए एक्जिट पोल के मुताबिक उत्तराखंड में त्रिशंकु विधानसभा देखने को मिल सकती है. पोल के मुताबिक राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस 32 सीट तो विपक्ष
में बैठी बीजेपी को 31 सीट मिलने के आसार हैं. वहीं टीवी-18 पोल राज्य में बीएसपी को 3 सीटों पर जीतते हुए दिखा रहा है, जबकि राज्य में अन्य अथवा निर्दलीय के खाते में 4
सीट जा सकती है. साथ ही एग्जिट पोल एजेंसी चाणक्य के मुताबिक उत्तराखंड में बीजेपी 53 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने जा रही है. वहीं चाणक्य के मुताबिक, सत्तारूढ़ कांग्रेस
को महज 15 सीट पर जीत हासिल करते दिखाया है. वहीं वोट पर्सेंट के मुताबिक बीजेपी को राज्य में 43 फीसदी वोट शेयर मिला है, जबकि कांग्रेस को 34 फीसदी वोट शेयर मिल
सकता है.
चुनाव आयोग ने की पूरी तैयारी
चुनाव आयोग ने मतगणना के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं और मतगणना कक्ष के भीतर मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी. सामान्य पर्यवेक्षकों के इतर हर मतगणना
टेबल पर एक माइक्रो-आब्जर्वर को भी तैनात किया गया है. मतगणना केंद्रों के आसपास त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं. मतगणना केंद्रों के भीतर केवल केंद्रीय बलों की तैनाती की
गई है. बाहरी क्षेत्र में स्थानीय पुलिस को ड्यूटी पर लगाया गया है. मतगणना केंद्रों के भीतर किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति के प्रवेश को रोकने के लिए अन्य राज्यों के पुलिस बलों की
तैनाती की गई है. प्रवेश स्थल पर भीड़ और लोगों के प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए एक वरिष्ठ मजिस्ट्रेट को तैनात किया गया है. मतगणना केंद्र के 100 मीटर की परिधि में
वाहनों को प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई है. स्ट्रांग रूम से मतगणना कक्ष तक ईवीएम को ले जाने की निगरानी के लिए अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
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