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अर्जी पढ़कर देवता मनोकामना करते हैं पूरी, भक्त चढ़ाते हैं घण्टी

अपनी अलौकिक छटा के कारण पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध उत्तराखण्ड धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. यहां के पावन तीर्थो के कारण ही इसे देव भूमि पुकारा जाता है और यहां के विशेष मंदिर और उनकी कथाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

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aajtak.in
  • अल्मोड़ा,
  • 11 जून 2015,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

अपनी अलौकिक छटा के कारण पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध उत्तराखण्ड धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. यहां के पावन तीर्थों के कारण ही इसे देव भूमि पुकारा जाता है और यहां के विशेष मंदिर और उनकी कथाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

अल्मोड़ा जिले में दुनिया का अपने आप में ऐसा ही एक अनोखा चित्तई स्थित गोलू देव का मन्दिर है. इसके बारे में कहा जाता है कि दुनिया में किसी मन्दिर में इतनी घंटियां नहीं चढ़ायी गयी हैं, जितने अकेले गोलू देव के मंदिर में मौजूद हैं. वहीं इस मंदिर में भगवान का फरियादी की अर्जी पढ़कर मनोकामना पूरी करना भी इसे बेहद खास बनाता है.

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इस मंदिर की मान्यता न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक में है. इसलिए यहां दूर-दूर से सैलानी और श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर में प्रवेश करते ही यहां अनगिनत घंटियां नजर आने लगती हैं. कई टनों में मंदिर के हर कोने-कोने में दिखने वाले इन घंटे-घंटियों की संख्या कितनी है, ये आज तक मन्दिर के लोग भी नहीं जान पाए. आम लोगों में इसे घंटियों वाला मन्दिर भी पुकारा जाता है, जहां कदम रखते ही घंटियों की कतार शुरू हो जाती हैं.

दरअसल यहां मन्नते पूरीं होने पर घंटियां चढ़ाने की परम्परा है और ये घंटियां इस बात की भी तस्दीक करती हैं कि यहां कितने भारी पैमाने पर लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं. खास बात है कि इन घंटियों को मन्दिर प्रशासन गलाकर, बेचकर या फिर दूसरे कार्यों में इस्तेमाल नहीं करता. बल्कि इसे भगवान की धरोहर मानकर सहेजा जाता रहा है.

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मंदिर प्रांगण में जो घंटियां नजर आती हैं, असल में उनकी संख्या और भी ज्यादा है, जिन्हें क्रमवार निकाल कर सुरक्षित रखा जाता है, ताकि मंदिर में और घंटे-घंटियां लगाने की जगह बनी रही.

गोलू देवता को उत्तराखण्ड में न्याय का देवता कहा जाता है. इनके बारे में यह मान्यता है कि जिसको कहीं पर भी न्याय नहीं मिले वह इनके दरबार में अर्जी लगाये तो उससे तुरन्त न्याय मिल जाता है. यही वजह है कि मंदिर में अर्जियां लगाने की भी परम्परा है. कोने-कोने से आये श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए बड़ी संख्या में अर्जियां लिखकर यहां टांग जाते हैं, जिन्हें मन्दिर में देखा जा सकता है.

कहा जाता है कि इन अर्जियों को पढ़कर गोलू देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं और श्रद्धा स्वरूप भक्त यहां घंटियां चढ़ाते हैं. यही वजह है कि इस मन्दिर को कई लोग अर्जियों वाला मन्दिर भी पुकारते हैं.

- इनपुट IANS

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