
उत्तराखंड का सियासी संघर्ष जहां सोमवार हो राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गया, वहीं हरीश रावत सरकार की मुश्किलें बढ़ती ही नजर आ रही हैं. बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के मुताबिक, उन्होंने राष्ट्रपति से कहा कि राज्यपाल बीजेपी को सदन में बहुमत साबित करने के लिए वक्त दें.
विजय बहुगुणा के बेटे को पार्टी से निकाला
विश्वास मत साबित करने से एक सप्ताह पहले कांग्रेस ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत और संयुक्त सचिव अनिल गुप्ता को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया. संकट से घिरे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र और बीजेपी पर उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.
सरकार के खिलाफ मतदान पर जताया गुस्सा
साकेत और गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई उन पर रावत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले नौ विधायकों का पक्ष लेने का आरोप लगने के बाद हुई है. शुक्रवार को विधानसभा में साकेत के पिता विजय बहुगुणा ने सरकार के खिलाफ मतदान किया था. उधर दो बागी कांग्रेस विधायकों को निष्कासित कर दिया गया.
राष्ट्रपति से सरकार को बर्खास्त करने की मांग
इसके पहले नई दिल्ली में कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल, उत्तराखंड के बीजेपी सांसदों और विधायकों और कांग्रेस के बागी विधायकों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अलग-अलग जाकर मुलाकात की. पार्टी नेता कैलाश विजयवर्गीय और श्याम जाजू के साथ बीजेपी विधायकों और सांसदों ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा कि राज्य में सरकार अल्पमत में आ गई है और भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है. बीजेपी ने हरीश रावत सरकार को बर्खास्त करने की मांग की.
बीजेपी के मार्च में नहीं दिखे बागी विधायक
पहले बीजेपी ने संख्याबल दिखाने के लिए कांग्रेस के बागी विधायकों को भी अपने साथ ले जाने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में जब इस तरह के संकेत मिले कि यह सही नहीं होगा तो इस योजना को त्याग दिया गया. विजयवर्गीय ने कहा, ‘यह सरकार अल्पमत में है. उसे एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है.’ उन्होंने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की और सरकार को हटाने की मांग की.
हरीश रावत को हटाने की मांग
उन्होंने वित्त विधेयक की घोषणा करने के उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को असंवैधानिक बताया. इस पर बीजेपी और असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने मतविभाजन की मांग की थी. विजयवर्गीय ने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से सदन की रिकार्ड की गई कार्यवाही को देखने का अनुरोध किया है. इससे स्पष्ट है कि अधिकतर विधायक बजट के खिलाफ थे. सरकार उसी दिन गिर गई थी.’
केंद्र पर लगाया सरकार अस्थिर करने का आरोप
दूसरी ओर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद केंद्र पर उसकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी के नेतृत्व में पार्टी का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला और उनसे राज्य में कानून का शासन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया. कांग्रेस का आरोप था कि केंद्र और भाजपा असंवैधानिक तरीकों से राज्य सरकार को अस्थिर कर रहे हैं. अंबिका सोनी और गुलाम नबी आजाद ने मुलाकात के बाद बताया कि एक केंद्रीय मंत्री खास विमान से उत्तराखंड गए थे. इस बारे में सबको पता है. आजाद ने कहा कि कांग्रेस विधायकों को बंदी बनाकर रखा गया है.
बीजेपी कर रही है विधायकों की खरीद-फरोख्त
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से कहा, ‘बीजेपी के इशारे पर राष्ट्रपति शासन लगाने का केंद्र सरकार का कोई भी प्रयास पहली नजर में गैरकानूनी होगा. संविधान के अनुच्छेद 356 को लगाना मजाक होगा.’ कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, अंबिका सोनी और मोतीलाल वोरा शामिल थे. उन्होंने कहा कि यह कदम केंद्र में सत्तारूढ़ व्यवस्था और बीजेपी को मिलकर खरीद-फरोख्त के जरिए बहुमत हासिल करने में मदद करेगा.
उत्तराखंड में दोहराना चाहते हैं अरुणाचल
उधर सिब्बल ने कहा, ‘केंद्र अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है. वे उत्तराखंड में अरुणाचल प्रदेश वाली स्थिति दोहराना चाहते हैं. यह लोकतंत्र और राष्ट्रवाद का नया मॉडल है.’ ज्ञापन में कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति से यह शिकायत भी की कि राज्यपाल को सत्र पहले बुलाने के लिए मनाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं.