Advertisement

उत्तराखंड में प्रचंड ठंड, कई जिलों में तीन फीट बर्फ जमी

पूरे प्रदेश में 6 मौतें इस प्रचंड ठंड की वजह से हो चुकी हैं जिनमे महिलाएं भी शामिल हैं.

पहाड़ों पर जमी है बर्फ पहाड़ों पर जमी है बर्फ
दिनेश अग्रहरि
  • देहरादून,
  • 07 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:01 AM IST

उत्तराखंड में ठंड प्रचंड रूप ले चुकी है. पूरे प्रदेश में पहाड़ी जिलों में लगातार बर्फबारी की वजह से जहां तीन फ़ीट से ज्यादा बर्फ जमा ही चुकी है, वहीं मैदानी जिलों में ठंडी तेज हवाओं ने लोगों का या तो घरों में कैद करके रख दिया है या फिर आग और अलाव के सहारे रोजमर्रा की जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया है. अभी तक पूरे प्रदेश में 6 मौतें इस प्रचंड ठंड की वजह से हो चुकी हैं जिनमे महिलाएं भी शामिल हैं.

Advertisement

ठंड कितनी है और इससे कितनी परेशानी आम आदमी को और उत्तराखंड में आने वाले यात्रियों को हो रही है, इसी का जायजा लेने के लिए देहरादून शहर में आजतक की टीम निकली.

शनिवार रात करीब साढ़े बजे जगह देहरादून का रेलवे स्टेशन पहुंचने पर, ये मालूम हुआ कि किस तरह यात्री परेशानी का सामना कर रहे हैं. पूरे उत्तर भारत में कोहरे के प्रकोप की वजह से ट्रेन कई-कई घंटे लेट हो रही हैं, जिसकी परेशानी देहरादून के स्टेशन पर यात्रियों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है.

लोग बिना किसी आग-अलाव के किसी तरह से ठंड से मानो मुकाबला करते नज़र आ रहे हैं. पटना से आए एक व्यक्ति से बात कर पता चला कि पिछले 6 घंटे से वो अपने परिवार के साथ खुले आसमान में खड़े हैं, इस भरोसे कि कब उनकी ट्रेन आएगी और वो किसी तरह से अपने घर पहुंच पाएंगे. मगर जिस ट्रेन से उन्हें जाना है वह देहरादून ही 12 घंटे देर से पहुंची थी और उसके बाद 5 घंटे अभी और बाकी हैं उसे दुबारा चलने में.

Advertisement

ऐसा ही हाल एनआर गोपाल का भी था जो 10 साल के बाद ट्रेन का सफर कर रहे हैं. उनकी मानें तो उनको लगता था कि अब सब कुछ बदल गया होगा. देश बदल गया होगा, सुविधाएं अच्छी हो गयी होंगी, मगर आजतक से उन्होंने बताया कि उन्हें निराश ही होना पड़ा.  

उनकी मानें तो कोहरा पड़ना तो प्राकृतिक बात है, जिसको हम नहीं रोक सकते. मगर क्या रेलवे कहीं पर आग या किसी ऐसे कमरे की व्यवस्था भी नही कर सकता कि छोटे-छोटे बच्चे और महिलाएं अपने आपको इस प्रचंड ठंड से बच सकें.

ऐसा ही हाल एक मां का भी है जो किसी तरह से अपने आंचल में अपने 2 साल के बच्चे को छुपाने की कोशिश कर रही है. उस ठंड से जो ये नही पूछेगी कि उसके प्रकोप का असर बच्चे पर पड़ेगा या महिलाओं और बुजुर्गों पर. बहरहाल न रेलवे ने यात्रियों के लिए कुछ सोचा और न ही उत्तराखंड प्रशासन ने.

स्टेशन मास्टर ने भी साफ तौर पर ये कह कर अपना पीछा छुड़ा लिया कि हमारे पास ऐसे किसी भी सुविधा देने के आदेश नही आए हैं.

रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद हम सीधा देहरादून के आईएसबीटी पहुंचे, जहां यात्रियों को सड़क पर खड़े होने के अलावा कोई चारा नही था, क्योंकि बस अड्डे के अंदर कुछ जगह नही थी और बाहर कोई भी व्यवस्था नही थी.

Advertisement

लगातार सिर पर पड़ रहे पाले से बचने के लिए पंजाब जाने के लिए यात्रियों ने फ्लाईओवर का सहारा लिया हुआ था, जिसके नीचे खड़े होकर वो ठंड से तो निजात नही पा सके थे मगर पाले से जरूर बचाव हो गया था. तेज हवाओं के बीच खड़े यात्री सिर्फ इस बात का इंतजार कर रहे थे कि किसी तरह कोई बस मिल जाये तो वो अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकें.

ऐसा ही कुछ हाल वहां खड़े ऑटो ड्राइवर्स का भी था, उनकी मानें तो सरकारी अमला कागजों में तो ये दिखाता है कि पूरे शहर में अलाव की व्यवस्था की गई है, मगर  धरातल पर ऐसा कहीं नजर नही आता. बस किसी तरह से रात गुजार रहे हैं, क्यूंकि घर चलाने के लिए ऑटो चलाना तो बंद नही किया जा सकता.

पूरे शहर का जायजा लेते हुए एक बात जरूर सामने आई कि कहीं हो न हो पर हर पुलिस चैकपोस्ट पर जरूर अलाव जलते नज़र आये, जहां पुलिस कर्मी अपनी ठंड को दूर करते हुए भी दिखाई दिए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement