
पिछले दिनों बेमौसम हुई बारिश उत्तराखंड के किसानों पर कहर बनकर टूट रही है. आसमान से बरसी इस आफत ने खेतों में खड़ी गेहूं की तैयार फसल को बर्बाद कर दिया है. उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में इन दिनों हो रही बेमौसम बारिश से खेतों में खड़ी रबी की फसल को भारी नुकसान हुआ है.
वहीं बिजली विभाग की लापरवाही से सैकड़ों बीघे खड़ी गेहूं की फसल आग की चपेट मे आ गई. जिस वजह से किसानों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है. अब फसलों की बर्बादी से गुजारे लायक अनाज हाथ लगना तो दूर किसानों के सामने अगली फसल के लिए बीज बचाने की समस्या भी खड़ी हो गई है.
कड़ी मेहनत के बाद खेतों में लहलहाती फसलों से होने वाली उपज हाथ लगने की उम्मीद से हर कोई किसान खुशहाली का सपना देखता है. लेकिन बेमौसम बारिश के रूप में आए कुदरती कहर ने किसानों के सपने चकनाचूर कर दिए हैं. मार्च- अप्रेल में हल्द्वानी और आस- पास के क्षेत्र में रबी की फसल पक कर तैयार हो जाती है. इन दिनों खेतों में खड़ी गेहूं, सरसों और चना आदि की फसलें पककर तैयार हैं लेकिन तेज हवा के साथ हुयी बेमौसम बारिश ने उन्हें तबाह कर दिया है.
हल्द्वानी, कोटाबाग और आस- पास के इलाके में बारिश का कहर खड़ी फसल पर जमकर टूटा है. लेकिन ना तो प्रशासन और ना ही सियासी नुमाइंदे उनका दर्द सुन रहे हैं. यही वजह है फसल बर्बाद होने से दुखी किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
यूं तो केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की बेहतरी के तमाम दावे करती हैं. लेकिन जब कुदरत के कहर ने किसान को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है. तब कोई भी उसकी सुध नहीं ले रहा है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारी बेमौसमी बारिश की वजह से फसलों की बर्बादी की बात स्वीकार कर रहे हैं.
बता दें कि नैनीताल में अब तक खेती का 2007 हेक्टेयर एरिया बारिश से प्रभावित हुआ है. इसमें 1847 हेक्टेयर एरिया गेहूं और 160 हेक्टेयर एरिया मसूर का प्रभावित हुआ है. कृषि अधिकारियों का कहना है की खड़ी फसल को ज्यादा नुकसान नहीं है. हालांकि, पर्वतीय और मैदानी इलाकों में रबी की फसल के नुकसान के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. इसके बाद इन्हें सरकार को भेज दिया जाएगा.
वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि किसानों की फसल के नुकसान को देखते हुए कोई ठोस नीति के ना बनने से किसान आत्महत्या कर रहा है.