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उत्तराखंडः स्पीकर के नोटिस के खि‍लाफ कांग्रेस के बागी विधायकों की अर्जी HC में खारिज

याचिका दायर करने वालों ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत भेजे गए नोटिस को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया है कि नोटिस के तहत सात दिन में जवाब के लिए दिया गया समय बेहद कम है.

नैनीताल हाई कोर्ट नैनीताल हाई कोर्ट
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST

उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार को गिराने और बचाने की लड़ाई में हाई कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. शुक्रवार को कांग्रेस विधायक अमृता रावत और शैलेन्द्र मोहन ने बागी विधायकों की ओर से स्पीकर के नोटिस के खिलाफ नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दी. स्पीकर की ओर से मामले में पैरवी के लिए पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल भी नैनीताल पहुंचे थे.

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याचिका दायर करने वालों ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत भेजे गए नोटिस को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि नोटिस के तहत सात दिन में जवाब के लिए दिया गया समय बेहद कम है.

दूसरी ओर, बागियों कि इस कदम की भनक लगते ही सरकार ने कानूनी मोर्चे पर पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल को तैनात कर दिया. सिब्बल नैनीताल पहुंचे, वहीं बागियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी, पूर्व महाधिवक्ता यूके उनियाल ने मोर्चा संभाला.

गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष ने सभी 9 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर पूछा कि एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत सदन में उनकी सदस्यता का क्यों नहीं निरस्त कर दिया जाए?

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