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मौसम हुआ सुहाना, उत्तराखंड और कर्नाटक के कई हिस्सों में बारिश

उत्तराखंड के चमोली, रुद्रप्रयाग और केदारनाथ में काले बादल छाए हुए हैं जिससे दिन में ही अंधेरा छा गया है. बाद में वहां बारिश भी शुरू हो गई. वहां पर ठंडी हवाएं भी चल रही है, इसके और तेज होने की संभावना जताई जा रही है. बारिश शुरू होने से कई दिनों से राज्य के जंगलों में लगी आग पर काबू पाना आसान हो गया है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 29 मई 2018,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

केरल के तटीय इलाकों में मानसून के दस्तक देने के कुछ ही घंटों के अंदर उत्तर और दक्षिण दोनों ही क्षेत्रों में मौसम में अचानक बदलाव आ गया है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत राज्य के कई हिस्सों में बारिश शुरू हो गई है, तो वहीं कर्नाटक में भी तेज हवा के साथ भारी बारिश हो रही है.

उत्तराखंड के चमोली, रुद्रप्रयाग और केदारनाथ में काले बादल छाए हुए हैं, जिससे दिन में ही अंधेरा छा गया है. बाद में वहां बारिश भी शुरू हो गई, साथ ही ठंडी हवाएं भी चल रही हैं, इसके और तेज होने की संभावना जताई जा रही है. बारिश शुरू होने से कई दिनों से राज्य के जंगलों में लगी आग पर काबू पाना आसान हो गया है.

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कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात

दूसरी ओर, कर्नाटक में भी मौसम सुहाना हो गया है. राज्य के मेंगलुरु और उडुपी हवा और बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं. मछुआरों को सलाह दी गई है कि समुद्र के पास न जाएं. शहर के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है.

राज्य में ऐहतियातन स्कूलों, कॉलेज और दुकानों को बंद करा दिया गया है. तेज हवाओं के कारण कई पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए हैं.

बारिश से बुझेगी आग

उत्तराखंड में बारिश इसलिए भी फायदेमंद है, क्योंकि जंगलों में लगी आग की तपिश अब हिमालय में मौजूद ग्लेशियरों तक पहुंचने लगी थी, जिससे उसकी सेहत पर खतरा बढ़ता जा रहा था. इस बार प्रदेश के 8 जिले भीषण आग की चपेट में आए हैं.

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि जंगलों के जलने से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड निकल रही है. साथ ही आग से निकलने वाली राख और सूक्ष्म कण ग्लेशियरों पर चिपककर सीधे तौर पर भी बर्फ पिघलने की गति को बढ़ा रहे हैं. ऐसे में अगर उत्तराखंड सरकार ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो हालात बेहद खराब होने वाले हैं, जिनसे इंसान ही नहीं बल्कि ग्लेशियर भी खतरे में आ गए हैं.

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उत्तराखंड में इस बार भीषण आग लगी हुई है और यह गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक फैली हुई है. इसकी वजह से वन संपदा से भी ज्यादा नुकसान पर्यावरण को हो रहा था.

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