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ताइक्वांडो से मजबूत होगी महिला सुरक्षा

ताइक्वांडो के दम पर उत्तराखंड के कई युवाओं ने देश के लिए कई पदक जीते हैं और राज्य का नाम भी रोशन किया है, लेकिन अब ताइक्वांडो को युवतियां अपनी मजबूत सुरक्षा के प्रति भी इस्तेमाल करने का गुर सीख रही हैं,

सेल्फ डिफेंस सीख रहीं महिलाएं सेल्फ डिफेंस सीख रहीं महिलाएं
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 3:04 PM IST

ताइक्वांडो के दम पर उत्तराखंड के कई युवाओं ने देश के लिए कई पदक जीते हैं और राज्य का नाम भी रोशन किया है, लेकिन अब ताइक्वांडो को युवतियां अपनी मजबूत सुरक्षा के प्रति भी इस्तेमाल करने का गुर सीख रही हैं. उनका मानना है कि जिस अनुपात में महिला अपराध बढ़ते जा रहे हैं, उससे बचने में कहीं ना कहीं महिलाएं सक्षम होंगी.

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समाज में बढ़ते महिला अपराध बेहद चिंता का विषय हैं, और अब यह जरूरी हो गया है कि लड़कियों और महिलाओं को खुद ही आगे आना होगा, जिसके चलते वे ताइक्वांडो खेल को अपने मजबूत हथियार के  रूप में इस्तेमाल करने का गुर सीख रही हैं, यही वजह है कि ताइक्वांडो के प्रति उनका रुझान बढ़ता रहा है,  ताइक्वांडो के गुर सीखते युवतियों की ये तस्वीरें हल्द्ववानी की हैं, ताइक्वांडो के नेशनल कोच रहे कमलेश तिवारी पूरे जोश के साथ एक एक एक गुर सीखा रहे है.

ट्रेनिंग ले रहीं युवतियों के मुताबिक, वे राज्य स्तर से लेकर नैशनल स्तर तक के प्रतियोगिता की तैयारी तो कर ही रही हैं, साथ में महिला अपराधों के दौरान बचाव के भी गुर सीख रही हैं. उनके मुताबिक, आज के दौर में महिला सुरक्षा चिंता का विषय है, यही नहीं जो नए बच्चे ताइक्वांडो सीखने आ रहे हैं, कुछ दिनों बाद उनके अंदर एक बड़ा बदलाव देखने को भी मिल रहा है, जिससे यह तय है कि उनके अंदर इस खेल के प्रति कुछ अलग करने की क्षमता विकसित हो रही है.

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अभिभावक बच्चों को कम उम्र से ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग करने पर विशेष जोर दे रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि इससे इस खेल के प्रति उनके बच्चों के दिल में भावना पैदा हो रही है, यही नहीं, कुछ बच्चे राज्य स्तर पर और कुछ नैशनल स्तर पर राज्य और देश का नाम रोशन भी कर चुके हैं. महिलाएं भी मानती हैं कि आज महिला अपराध के प्रति जिस तरह का माहौल पैदा हो रहा है, उसको देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि युवतियां ताइक्वांडो की ट्रेनिंग लेकर सक्षम बनें.

इन बच्चों और युवतियों को ट्रेनिंग दे रहे ताइक्वांडो के नेशनल कोच रह चुके कमलेश तिवारी मानते हैं कि केवल कोच या बच्चे के भरोसे रहकर कोई भी खेल नहीं खेला जा सकता, लिहाज़ा अभिभावक, कोच और बच्चे यानी तीनों का एक ही दिशा में रुझान होना बेहद अहम है, इसी का परिणाम है कि बच्चे ताइक्वांडो के लिए भी आगे आ रहे हैं.

यूं तो खेल-कूद और व्यायाम हम सबके लिए जरूरी है, लेकिन जिस तरह से आज के हालात में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ा है, उसे देखते हुए मार्शल आर्ट व ताइक्वांडो महिलाओं के लिए बहुत जरूरी हो गया है. मार्शल आर्ट शरीर को चुस्त दुरुस्त रखता है और महिलाओं में एक आत्म विश्वास और ताकत भी देता है जिससे वो विकट परिस्थिति में अपने को महफूज रख सकें , जागरूकता अभियान चलाकर समाज के हर व्यक्ति को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट से जोड़ा जाना चाहिए.

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