Advertisement

आईएसआईएस को मिल गया एक नया जल्लाद

इस्लाम और जेहाद के नाम पर पूरी दुनिया में इस्लामिक हुकूमत कायम करने का सपना पालने वाले आईएसआईएस को एक नया जल्लाद मिल गया है. कैमरे पर गोली मारने वाले और कैमरे पर गला काटने वाले इस नए जल्लाद का नाम है न्यू जेहादी ज़ॉन उर्फ सिद्धार्थ धर. लंदन का रहने वाला एक भारतीय हिंदू नौजवान जिसने पहले इस्लाम कुबूल किया और फिर आईएसआईएस की तरफ से लड़ने के लिए सीरिया पहुंच गया.

आईएसआईएस को मिला एक नया जल्लाद आईएसआईएस को मिला एक नया जल्लाद
अकरम शकील
  • ,
  • 06 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

इस्लाम और जेहाद के नाम पर पूरी दुनिया में इस्लामिक हुकूमत कायम करने का सपना पालने वाले आईएसआईएस को एक नया जल्लाद मिल गया है. कैमरे पर गोली मारने वाले और कैमरे पर गला काटने वाले इस नए जल्लाद का नाम है न्यू जेहादी ज़ॉन उर्फ सिद्धार्थ धर. लंदन का रहने वाला एक भारतीय हिंदू नौजवान जिसने पहले इस्लाम कुबूल किया और फिर आईएसआईएस की तरफ से लड़ने के लिए सीरिया पहुंच गया.

Advertisement

लंदन में रहने वाले हिंदू जॉन पहले एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता है और फिर शादी के बाद मुसलमान बन जाता है. उसके बाद सीरिया पहुंचकर आईएसआईएस का सबसे खूंखार जल्लाद बन जाता है. लंबी क़द-काठी चेहरे पर नक़ाब और हाथ में खंजर और चेहरे पर नकाब के पीछे जेहादी जॉन है रहता है. इसी जेहादी ने अपनें हाथों से ना जाने कितने मासूमों के गला काटे हैं.

IS में शामिल होने वाला जल्लाद पहले था हिंदू
आईएसआईएस में शामिल होने वाला जल्लाद है जो बस कुछ साल पहले तक हिंदू था मगर फिर इसने इस्लाम कुबूल किया और उसके बाद अब आईएसआईएस का न्यू जिहादी जॉन बन चुका है. 10 साल पहले इसका इसका नाम सिद्धार्थ धर था. ईस्ट लंदन का रहने वाला सिद्धार्थ धर. उसी दौरान उसे आइशा नाम की एक मुस्लिम लड़की से प्यार हो गया. दोनों ने शादी कर ली और शादी के बाद ही सिद्धार्थ धर ने इस्लाम कुबूल कर लिया और उसे नया नाम मिला अबू रुमायसाह.

Advertisement

ऐसे आया सच सामने
सिद्धार्थ के अबू रुमायसाह बन जाने और अबू रुमायसाह से आईएसआईएस का न्यू जिहादी जॉन बन जाने का खौफनाक सच तब सामने आया जब इसी रविवार को आईएसआईएस ने एक वीडिया जारी किया. 11 मिनट के इस वीडियो में पांच सीरियाई नागरिकों की हत्या करते दिखाया गया है. इन पांचों पर ब्रिटेन के लिए जासूसी करने का इलजाम था.

पीछे से सर में मार दी जाती हो गोली
हमेशा की तरह पांचों को नारंगी कपड़े पहनाने के बाद कैमरे पर सबसे पहले एक शख्स भाषण देता है. इसके बाद पांचों से अपना जुर्म कुबूल करवाया जाता है. फिर जैसे ही वो अपना जुर्म कुबूल करते हैं पीछे से एक-एक पांचों के सिर में गोली मार दी जाती है. कहा जा रहा है कि जो इस वीडियो में नकाबपोश कैमरे पर बोल रहा है वो कोई और नहीं बल्कि अबू रुमायसाह उर्फ न्यू जिहादी ज़ॉन है. दरअसल इस बात की पुष्टि तब हुई जब वीडियो में मौजूद आवाज ईस्ट लंदन में रहने वाली अबू रुमायसाह की बहन कोनिका और मां संबिता धर को सुनाई गई. दोनों ने माना कि वीडियो में जो शख्स बोल रहा है वो सिद्धार्थ धर उर्फ अबू रुमायसाह की ही आवाज है.

इस बात की तस्दीक होने के बाद से ही ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसिय़ां इस पड़ताल में जुट गईं कि आखिर लंदन में रहने वाला एक हिंदू नौजवान कयों इस्लाम कुबूल करता है? क्यों वो एक मुस्लिम लड़की से शादी करता है? और फिर क्यों वो अपनी बीवी और चार बच्चों को लेकर सीरिया पहुंचत जाता है? आईएसआईएस का नया जल्लाद यानी न्यू जिहादी ज़़न बनने? तो जांच में जो सच सामने आया वो और भी अजीब था.

Advertisement

लड़की ने बदल दी जिंदगी
दस साल पहले तक सिद्धार्थ धर लंदन में रहने वाला भारतीय मूल का एक आम ब्रिटिश शहरी था. उसका ताल्लुक बंगाली हिंदू परिवार से था. मगर एक लड़की ने उसकी लाइफ बदल दी. आईएसआईएस के इस दूसरे जेहादी जॉन की कहानी वाकई चौंकाने वाली है.

आईएसआईएस की ओर से सीरिया के किसी गुमनाम ठिकाने पर पांच बेगुनाहों को गोली से उड़ाने का वीडियो जारी करने के साथ ही रातों-रात सुर्खियों में आनेवाले इस आतंकवादी की मौजूदा ज़िंदगी चाहे जैसी भी हो, लेकिन उसकी पुरानी कहानी ऐसी नहीं थी. लेकिन उसकी ज़िंदगी में एक मुस्लिम लड़की क्या आई वो पूरी तरह से बदल गया. आयशा नाम की लड़की से ना सिर्फ उसने शादी की बल्कि आयशा के कहने पर अपना धर्म भी बदल लिया. सिद्धार्थ की बहन के मुताबिक आयशा का परिवार कट्टरवादी सोच का था और बेहद मजहबी. घर वालों का इलजाम है कि आयशा ने ही सिद्धार्थ को भी कट्टरवादी सोच का बना दिया.

इंग्लैंड के ही एक स्टोर में सेल्समैन था
हिंदुस्तानी मूल के एक बंगाली हिंदू परिवार से ताल्लुक रखनेवाला सिद्धार्थ धर 10 साल पहले इंग्लैंड के ही एक स्टोर में सेल्समैन का काम करता था. उन्हीं दिनों उसे आइशा नाम की एक लड़की से प्यार हो गया. इसके बाद उसने ना सिर्फ़ आइशा से शादी कर ली, बल्कि अपना धर्म बदल कर सिद्धार्थ धर से अबु रुमायसाह हो गया, लेकिन ये तो जैसे उसके एक आतंकवादी बनने की शुरुआत भर थी जल्द ही वो कई कट्टरपंथी मौलवियों के संपर्क में आ गया और ब्रिटेन समेत तमाम यूरोपीय मुल्कों के खिलाफ़ आग उगलने लगा. देखते ही देखते वो मुस्लिम अगेंस्ट क्रूसेड्स और अल-मुहाजिरौन नाम की संस्थाओं का मेंबर बन गया और बढ़ चढ़ कर विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने लगा.

Advertisement

उसकी सोच में आई इस तब्दीली और उसकी हरकतों के मद्देनज़र आतंकवादी गतिविधियों के सिलसिले में पहली बार ब्रिटिश एजेंसियों ने उसे सितंबर 2014 में गिरफ्तार किया. उससे पूछताछ हुई और बाद में उसे ज़मानत पर रिहा कर दिया गया. एहतियात के तौर पर सरकार ने उसका पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया लेकिन वो ब्रिटिश पुलिस को चकमा दे कर सड़क के रास्ते बस से पेरिस पहुंच गया. अपनी बीवी और चार बच्चों के साथ. इसके बाद पेरिस से वो आईएसआईएस के जंग में हिस्सा लेने तुर्की के रास्ते सीरिया जा पहुंचा . सीरिया पहुंचते ही वो एक बार फिर सोशल मीडिया पर आया और उसने अपनी तस्वीरों के साथ उसे रोकने में ब्रिटिश एजेंसियों की नाकामी पर फिकरेबाज़ी शुरू कर दी.

अपने हाथों से अपने भाई को मार डालेगी
यहां तक तो सबकुछ ठीक-ठाक था, लेकिन उसके ब्रिटेन से गायब होने के दो साल बाद अब सामने आए पांच लोगों के क़त्ल के उसके इस वीडियो ने सबको चौंका दिया है. अबु रुमायसाह के घरवालों की मानें तो वीडियो में आवाज़ उनके बेटे की ही लग रही है. उसकी मां ने कहा कि नकाब के पीछे बेगुनाहों की जान ले रहा शख्स, उनका ही बेटा है, ये मान लेना उनके लिए बेहद मुश्किल है, लेकिन उसकी बहन कोनिका धर का कहना है कि अगर ये उसी का भाई है, तो फिर मौका मिला तो वो खुद अपने हाथों से अपने भाई को मार डालेगी.

Advertisement

एक मासूम लड़का जो बड़ा हो कर फुटबॉलर बनना चाहता था, कंप्यूटर, वीडियो गेम और चिप्स का शौकीन था, लेकिन फिर वो अचानक बेगुनाहों का सिर क़लम करने लगा। उसका चेहरा हमेशा नकाब के पीछे होता. इसीलिए उसकी पहचान को लेकर हमेशा भ्रम बना रहा. पहचान के नाम पर बस उसकी आवाज़ और ब्रिटिश एक्सेंट में बोली जाने वाली अंग्रेजी थी. मगर फिर जब उसका चेहरा बेनकाब हुआ तो उसे क़रीब से जाननेवाले भी हैरान रह गए.

ज़िंदगी अपने-आप में किसी कहानी से कम नहीं
एक के बाद एक बेगुनाह इंसानों का सिर कलम कर रातों-रात चर्चे में आए जेहादी जॉन की ज़िंदगी अपने-आप में किसी कहानी से कम नहीं. कुवैत में पैदाइश के बाद मोहम्मद एमवाज़ी उर्फ जेहादी जॉन का परिवार ब्रिटेन में आ बसा था. उसके पिता एक मिनीकैब ड्राइवर थे और ब्रिटेन में भी यही काम करते थे, लेकिन स्कूल के दिनों में मोहम्मद एमवाजी में ऐसी कोई बात नहीं थी, जिसे देख कर उसके साथ पढ़नेवाले छात्रों या फिर उसके शिक्षकों को उसके आगे चल एक आतंकवादी बनने का कोई अंदाज़ा होता. वो फुटबॉल का शौकीन था और फुटबॉलर ही बनना चाहता था.

सैकड़ों ब्रिटिश बच्चों की तरह ही जब वो दस साल का था तो उसने अपने फेवरेट कंप्यूटर गेम के तौर पर टाइम टू किल का नाम लिखा था, जबकि उसका पसंदीदा रंग नीला, पसंदीदा जानवर बंदर, पसंदीदा कार्टून द सिम्पसन और पसंदीदा भोजन चिप्स था. लेकिन 1999 में प्राइमरी स्कूल से आगे बढ़ कर वो जैसे ही हाई स्कूल में पहुंचा धर्म को लेकर उसका नज़रिया बदलने लगा. उसके बाद उसने यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिनिस्टर से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की पढ़ाई शुरू की, लेकिन वक्त से साथ लगातार बदलता रहा वो कुछ मौलानाओं में संपर्क में आया और लगातार कट्टर होता गया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement