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वाराणसी हादसा: पुल के डिजाइन को लेकर पहले से उठ रहे थे सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर प्रोजेक्ट को 2 मार्च, 2015 को इजाजत मिली थी. इस 1710 मीटर लंबे फ्लाईओवर के लिए 77 करोड़ 41 लाख रुपये का बजट पास किया गया था. 25 अक्टूबर, 2015 से इस फ्लाईओवर के निर्माण का काम शुरू हुआ था.

वाराणसी में फ्लाईओवर का पिलर गिरा, 18 की मौत वाराणसी में फ्लाईओवर का पिलर गिरा, 18 की मौत
आशुतोष कुमार मौर्य/अजीत तिवारी
  • वाराणसी,
  • 16 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:25 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर का एक हिस्सा गिरने से बड़ा हादसा हुआ है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार, 15 लोगों की मौत हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. लेकिन इन सबके बीच एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, इस निर्माणाधीन  फ्लाईओवर के डिजाइन को लेकर शुरू से सवाल उठते रहे हैं.

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इस फ्लाईओवर प्रोजेक्ट को 2 मार्च, 2015 को इजाजत मिली थी. इस 1710 मीटर लंबे फ्लाईओवर के लिए 77 करोड़ 41 लाख रुपये का बजट पास किया गया था. 25 अक्टूबर, 2015 से इस फ्लाईओवर के निर्माण का काम शुरू हुआ था.

बताया जा रहा है कि इस फ्लाईओवर का निर्माण काफी अरसे से चल रहा था. हाल ही में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वाराणसी दौरे के दौरान इस फ्लाईओवर का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया था.

फ्लाईओवर के निर्माण का अधिकतर काम पूरा हो चुका है और अब आखिरी चरण का काम चल रहा था. लेकिन इस बीच स्थानीय लोगों से बात करने पर पता चला कि फ्लाईओवर के निर्माण में ढेरों अनियमितताएं बरती जा रही थीं.

हड़बड़ी में हो रहा काम

एक स्थानीय व्यक्ति ने शिकायती लहजे में कहा कि हर काम को जल्दी-जल्दी हड़बड़ी में किया जा रहा है.  जो पिलर बिठाया जा रहा है, उन्हें आपस में पहले जोड़ा नहीं जा रहा. अगर जोड़ते हुए निर्माण  कार्य आगे बढ़ता तो यह घटना नहीं होती.

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पिछले साल ही डिजाइन को लेकर उठे थे सवाल

बताया जा रहा है कि इस निर्माणाधीन पुल के डिजाइन को लेकर जुलाई, 2017 में ही सवाल किए गए थे. ऐसा कहा गया कि फ्लाईओवर की डिजाइन ऐसी बना दी गई है, जो भारी वाहनों के लिए मुसीबत बन गई है.

कैंट रेलवे स्टेशन के पास ही स्थित रोडवेज बस स्टेशन के नजदीक इस फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हुआ तो पिलर पर लगे स्लैब किसी भारी वाहन की टक्कर से हिल गए थे.

अफसरों ने की खामी छिपानी की कोशिश

वाहन की टक्कर से हिल गए इन पिलर्स को ठीक करने का स्थायी निदान अफसरों को सूझ नहीं रहा था. फिर यूपी राज्य सेतु निगम के अफसरों ने इस खामी को छिपाने के लिए बैरियर लगाकर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. वास्तव में शुरुआत में लगे चार स्लैब भारी वाहनों से टकराने के चलते हिलने लगे थे.

जताई जा रही थी यह आशंका

तभी से यह आशंका जताई जा रही थी कि जब फ्लाईओवर के नीचे की सड़क बनेगी तो उसकी ऊंचाई बढ़ जाएगी. ऐसे में फ्लाईओवर के नीचे से भारी वाहन के गुजरने पर स्लैब के फिर से क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई जा रही थी.

निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि घटाई गई

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बताया जा रहा है कि इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि पहले दिसंबर, 2018 निर्धारित थी. लेकिन बाद में इसे घटाकर मार्च, 2018 कर दिया गया. लेकिन एकबार फिर इसके निर्माण की मियाद बढ़ा दी गई.

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