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वाराणसी के घाट हुए स्वच्छ, अब गंगा होगी प्रदूषण मुक्‍त

अभी वाराणसी में हर वर्ष करीब 300 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है, जिसके 2030 तक बढ़कर 390 एमएलडी हो जाने का अनुमान है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
अशोक सिंघल
  • वाराणसी,
  • 21 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:31 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा किनारे दूर तक फैले घाटों को तो स्वच्छ कर दिया गया है, जिसका आनंद स्थानीय निवासी उठा रहे हैं. अब इस आध्यात्मिक नगरी में लोग गंगा के प्रदूषण मुक्त स्‍वच्‍छ जल का भी आनंद उठाएंगे.

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी में बहने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए व्‍यापक पैमाने पर कार्य किया जा रहा है. सीवेज उपचार संयंत्रों को दुरुस्त करने के बाद अब गंगा नदी की तलछट की सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है ताकि गंगा के जल को प्रदूषण से मुक्‍त बनाया जा सके.

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अभी वाराणसी में हर वर्ष करीब 300 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है, जिसके 2030 तक बढ़कर 390 एमएलडी हो जाने का अनुमान है. दीनापुर, भगवानपुर और डीएलडब्ल्यू में स्थापित तीन सीवेज उपचार संयंत्रों की वर्तमान क्षमता केवल 102 एमएलडी सीवेज की है, जबकि शेष सीवेज वरुणा और अस्सी नदियों के माध्यम से सीधे गंगा नदी में प्रवाहित होती है. इस अंतर को पाटने के लिए जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) की मदद से चल रही परियोजना और जेएनएनयूआरएम योजना के तहत क्रमशः 140 एमएलडी एसटीपी का संयंत्र दीनापुर में और 20 एमएलडी एसटीपी का संयंत्र गोइठा में स्थापित किया जा रहा है. ये परियोजनाएं निर्माण के अंतिम चरण में हैं और मार्च 2018 से पहले काम करना शुरू कर देंगी.

इसके अलावा पीपीपी मॉडल के तहत 50 एमएलडी एसटीपी का संयंत्र रमना में निर्मित किया जा रहा है, जो अस्सी बीएचयू क्षेत्र की सीवेज शोधन उपचार आवश्यकताओं को पूरा करेगा. इस परियोजना के लिए अनुबंध पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं. इस प्रकार कुल 412 एमएलडी की सीवेज उपचार क्षमता का सृजन होगा, जो 2035 तक शहर की सीवेज प्रबंधन की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.

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इसके अलावा गंगा की सफाई को ध्यान में रखकर वरूणा और अस्सी नदियों के लिए इंटरसेप्टर सीवर का कार्य, चौका घाट, फुलवरिया और सरैया में तीन पम्पिंग स्टेशनों का विकास, पुराने ट्रंक सीवरों का पुनर्वास तथा घाट पम्पिंग स्टेशनों के पुनर्वास का कार्य भी चल रही है. गंगा नदी पर तैरते हुए कचरे की सफाई के लिए अप्रैल 2017 से वाराणसी में ट्रेश स्‍कीमर को भी लगाया गया है.

इसके अलावा 20.07 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 153 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण भी करवाया जा रहा है. इसमें से 109 शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जिसका 15,000 से 20,000 लोग रोज इस्तेमाल कर रहे हैं. 26 स्थानों पर घाट सुधार का कार्य भी किया जा रहा है और 26 घाटों पर मरम्मत का काम भी चल रहा है. घाटों पर कपड़ों की धुलाई से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पांडेपुर, नदेसर, भवानी पोखरा और कोनिया पोखरा की मरम्‍मत की गई है, जबकि तीन अन्‍य घाटों बजरडीहा, मछोदरी स्लॉटर हाउस और भवनिया पोखरा का निर्माण कार्य भी चल रहा है.

परिणाम स्वरूप अब कपड़े धोने के लिए धोबी समुदाय के बहुत से लोग इन पोखरों पर चले गए हैं. अन्य धोबियों को भी ऐसा करने के लिए कहा जा रहा हैं.षयज।

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