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अगर आप वाराणसी में स्थित बाबा काशी विश्वनाथ में आस्था रखते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने बाबा विश्वनाथ पर चढ़ने वाले पैकेट के दूध पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है.
क्या है वजह?
बारह ज्योर्तिलिंगों में सर्वोपरी बाबा काशी विश्वनाथ को अब पैकेट का पाश्चुरराइड मिल्क नहीं चढ़ाया जा सकेगा क्योंकि शास्त्रीय विधान में शिवलिंग पर सिर्फ कच्चा दूध ही चढ़ाया जा सकता है. उनका कहना है कि पैकेट का मिल्क कई बार गर्म और ठंडा करने की प्रक्रिया से गुजरता है. ये फैसला विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की बैठक में लिया गया है.
फैसले के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद् के एसडीएम विनोद सिंह बताते हैं कि न्यास परिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि पैकेट के दूध शास्त्रीय पद्धति के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य नहीं हैं. उनका कहना है कि ये दूध कई दिनों का होता है और इसे प्रक्रिया के तहत कई बार गर्म और ठंडा किया जाता है.
अमूल दूध की ब्रिकी पर लगी रोक
इस फैसले के बाद से मंदिर परिसर में पूर्व में स्थापित अमूल दूध के काउंटर से भी अमूल दूध की ब्रिकी पर रोक लगा दी गई है. वहीं मंदिर परिसर ने खुद के गौशाला के दूध की ही ब्रिकी शुरू कर दी गई है. मंदिर प्रशासन के अलावा जो श्रद्धालु बाहर से भी दूध लाकर चढ़ाते हैं तो उसकी गुणवत्ता भी समय-समय पर चेक की जाती है. क्योंकि बाहरी दूध में भी केमिकल की शिकायत आती थी. इसलिए शुद्ध बाहरी दूध भी बाबा काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जा सकता है.
एसडीएम विनोद सिंह ने बताया कि लगभग 200-250 लीटर दूध चढ़ाने के लिए रोज खपत होती है और अगर काशीविश्वनाथ के गौशाला से भी दूध कम पड़ता है तो बाहर के गौपालकों से भी दूध लेकर उस कमी को पूरा किया जाएगा.
दुकानदारों ने जताया विरोध
वहीं मंदिर के बाहर के दुकानदार विश्वनाथ मंदिर की ओर से लगाए जाने वाले नए प्रतिबंधों को गलत बता रहे हैं. कई दुकानदार ने पैकेट के दूध बेचने की बात बताई तो कई ने गाय का दूध बाजार से लाकर बेचने की जानकारी दी.
दुकानदारों का कहना है कि इस फैसले से न केवल दुकानदार बल्कि आने वाले श्रद्धालुओं को भी दिक्कत होगी. कई पूजा सामाग्री मंदिर के अंदर से नहीं मिलती और उसे बाहरी दुकान से भी खरीदकर नहीं ले जाया जा सकता, जिससे काफी दिक्कत होती है.