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अपनी खुशियों के लिए कोई एक साथ इतनी ज़िंदगियों में अंधेरा कर सकता है, इस पर यकीन नहीं होता. लेकिन जिस्मफरोशी के सबसे बड़े सौदागरों की कहानी कुछ ऐसी ही है. पुलिस की मानें तो पिछले दस सालों में अफाक और सायरा नाम के मियां-बीवी ने जीबी रोड के कोठों पर पांच हजार से ज्यादा लड़कियों का सौदा किया. यानी देश के अलग-अलग हिस्सों से आई ये लड़कियां हमेशा-हमेशा के लिए इन कोठों के सीलन भरे कमरों में कैद हो गईं.
पुलिस बताती है कि खुद सायरा आज से कोई 20-22 साल पहले हैदराबाद से अपने पति के साथ काम की तलाश में दिल्ली पहुंची थी. पति ने दिल्ली में आकर मेहनत मजदूरी शुरू की. उनके शुरुआती कुछ दिन तो ठीक-ठाक गुज़रे. लेकिन जल्द ही सायरा के पति को काम मिलना बंद हो गया और इसी के साथ उसके पति ने उससे दूरी बनानी भी शुरू कर दी. हार कर सायरा के क़दम जीबी रोड की गलियों में बहक गए और फिर उसने यहीं कोठा नंबर 58 में रह कर धंधा करना शुरू कर दिया और फिर अपनी शिकार बनी दूसरी लड़कियों की तरह सायरा की ज़िंदगी भी कोठों की दुनिया में ही सिमट गई.
एक दूसरे की गैरमौजूदगी में संभालते थे काम
कुछ साल बाद सायरा इसी कोठे की मैनेजर बन गई और अब दूसरी लड़कियों से धंधा कराने लगी. लेकिन इसी दौरान सायरा की मुलाकात अफाक से हुई जो इन कोठों में कारपेंटर का काम करता था. सायरा ने अफाक से शादी कर ली. अब अफ़ाक भी सायरा के साथ मिलकर जिस्मफरोशी के धंधे में अपने पैर जमाने लगा. फिर तो हालत ऐसी हुई कि जब-जब पुलिस ने सायरा को गिरफ्तार किया अफाक ने उसका धंधा संभाला और जब-जब अफाक पकड़ा गया, सायरा काम देखने लगी. इसके बाद देखते ही देखते दोनों ने कामयाबी के कई पायदान चढ़े और एक के बाद जीबी रोड के कई कोठों के मालिक बन बैठे. इसके साथ ही दोनों ने कई मकान और दूसरी प्रॉपर्टीज भी ख़रीदी. लेकिन ये सबकुछ उन्होंने अनगिनत भोली-भाली और मासूम लड़कियों के अरमानों का गला घोंट कर किया.
दलालों को मुंह मांगी कीमत देते थे सायरा-अफाक
अफाक और सायरा ने देश के अलग-अलग इलाक़ों में अपने दलालों का जाल बिछा दिया. जो प्यार-मुहब्बत और नौकरी का झांसा दे कर दूर दराज के इलाकों से लड़कियों को फंसा कर दिल्ली तक लाते और अफाक और सायरा उन्हें मुंह मांगी कीमत देकर लड़कियों को जीबी रोड के कोठों में कैद कर लेते. जो लड़की यहां आने के बाद धंधे के लिए राज़ी हो जाती, वो खैर कमाने-खाने लगती. लेकिन जो इसके लिए तैयार नहीं होती, उस पर इस मास्टमारइंड जोड़ी के जुल्मो-सितम का जो सिलसिला शुरू होता, वो तब तक चलता रहा, जब तक ये लड़कियां हार मार कर धंधे के लिए हामी नहीं भर देती. ऐसी लड़कियों का बाहर निकलना तो दूर, उन्हें तंग कमरों और तहखानों में ही कैद कर रखा जाता. ताकि उन पर किसी की निगाह ना पड़े. देखते ही देखते दोनों ने दिल्ली में जिस्म फरोशी के 80 फीसदी धंधे पर अपना कब्जा कर लिया और सायरा अब कोठा क्वीन के नाम से जानी जाने लगी. लेकिन जिस्मफरोशी के काले धंधे से नोट छापना इतना आसान भी नहीं था.