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टूट गया रामपाल के 'राजलोक' का तिलिस्म

सतलोक से सलाखों तक का फासला तय कर चुके संत रामपाल की तकदीर तो अब अदालत की मुट्ठी में है. लेकिन रामपाल के जेल जाते ही उसके आश्रम का तिलिस्म टूट कर बिखरने लगा है. इस आश्रम में कहीं किले की झलक मिलती है तो कहीं गुप्त ठिकाना नजर आता है. कहीं आरामगाह दिखता है तो कहीं आडंबर का अड्डा भी.

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aajtak.in
  • हिसार,
  • 21 नवंबर 2014,
  • अपडेटेड 3:55 AM IST

सतलोक से सलाखों तक का फासला तय कर चुके संत रामपाल की तकदीर तो अब अदालत की मुट्ठी में है. लेकिन रामपाल के जेल जाते ही उसके आश्रम का तिलिस्म टूट कर बिखरने लगा है. इस आश्रम में कहीं किले की झलक मिलती है तो कहीं गुप्त ठिकाना नजर आता है. कहीं आरामगाह दिखता है तो कहीं आडंबर का अड्डा भी. कुल मिलाकर ये आश्रम, आश्रम कम बाबा'लोक' ज्यादा है.

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आश्रम के आहते में मचान बने हुए हैं. पहली नजर में इन मचानों को देखकर ये गुमान हो सकता है कि शायद इन्हें कंस्ट्रक्शन के इरादे से तैयार किया गया है. लेकिन मचान के ऊपर रखे गद्दों और आस-पास की जगह पर नजर डालते ही सारी कहानी साफ हो जाती है. पेट्रोल बम से लेकर तेजाब और पत्थरों से भरी बाल्टी के साथ ही गुलेल. दूसरे लफ्जों में कहें तो मौत का हर वो सामान, जिससे हमला किया जा सके. जिससे जान ली जा सके. लेकिन आश्रम जैसी एक जगह, जहां कहने को तो आत्मा और परमात्मा के मिलन की बातें होती हैं, वहां मौत के ये सामान चौंकाते हैं. ये और बात है कि ये मचान और इन सामान का सच दुनिया के सामने आम हो चुका है.

रामपाल की गिरफ्तारी के साथ ही पिछले 18 दिनों से इन्हीं मचानों के जरिए पुलिस और कानून के खिलाफ छेड़ी गई जंग के हिसाब की घड़ी करीब आ चुकी है. गरज ये कि औरतों और बच्चों की ओट में छिपकर खुद को बचाने की कोशिश करनेवाला रामपाल अब शिकंजे में आ चुका है. ये और बात है कि वो खुद को बेकसूर बताने से बाज नहीं आ रहा. लेकिन रामपाल के सतलोक आश्रम का तिलिस्म अभी और भी है.

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आश्रम में है एक खास दरवाजा
आश्रम का मेन गेट. यानी वो जगह, जहां से होकर भक्तों के लिए अंदर आने और जाने की रास्ता है. लेकिन इस गेट से थोड़ा आगे बढ़ते ही साइन बोर्ड पर नजर पड़ती है. यहां आश्रम के अंदर दाखिल होने और अपने गुरु के पास पहुंचने से पहले हर भक्त के लिए अपनी तलाशी देनी जरूरी है और तो और अपनी हिफाजत में कोई कमी ना रह जाए, इसके लिए अनगिनत हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर्स का भी इंतजाम है. किसी किले के अभेद्य द्वार की तरह आश्रम के दो हिस्सों को अलग करता लोहे का एक गेट. पुलिस की मानें तो आम भक्तों को इस गेट से अंदर जाने की इजाजत नहीं है. वो नाम दान और भक्ति के बाद सीधे अपने आराम करने की जगह यानी इस डारमेट्री तक पहुंच सकते हैं. लेकिन रामपाल अपने कुछ चुनिंदा सिपहसालारों के साथ इस विशाल गेट के अंदर अपने दुर्ग में कैद रहता है.

बाबा के लिविंग रूम के साथ स्वीमिंग पूल भी
रामपाल के सतलोक आश्रम के रहस्यों से जैसे-जैसे पर्दा उठ रहा है, रामपाल का चेहरा भी बेनकाब होता जा रहा है. तो क्या रामपाल संतई की आड़ में पाखंड का खेल, खेलता था? क्या वो प्रवचन और नाम दान के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहा था? ये सवाल इसलिए, क्योंकि सतलोक आश्रम की अंदरुनी तस्वीरें इस आश्रम को आश्रम नहीं, बल्कि आरामगाह बता रही हैं.

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रामपाल के लिविंग रूम से सटा एक स्वीमिंग पुल भी है. दरअसल यह उसके थकान उतारने की वो जगह है, जहां भजन-प्रवचन के बाद रामपाल अक्सर तैरा करता था. पुल के पास ही रामपाल का विशाल पलंग, मलमली गद्दा, शानदार सोफा और चढ़ावे से आनेवाली लाखों की रकम सहेजने के लिए रखी गई इलेक्ट्रॉनिक तिजोरियां हैं. आश्रम में रामपाल का एक्सक्लूसिव बाथरूम भी इतना आलीशान है कि देखनेवाले हैरान हो सकते हैं.

आश्रम में है गुप्त रास्ता
शायद यही वजह है कि रामपाल ने जहां एक तरफ तो अपने आश्रम को लोहे के गेट के जरिए खास और आम के हिस्से में बांट रखा है, वहीं खास इलाके से और भी खास जगह तक पहुंचने के लिए एक गुप्त रास्ते का भी इंतजाम है. ये गुप्त रास्ता पांच मंजिला कोठीनुमा आश्रम के उस प्राइवेट फ्लोर तक जाता है, जहां रामपाल के सिवाय और किसी को जाने की इजाजत नहीं थी. लेकिन खुद को फक्कड़ जिंदगी जीने वाले कबीर के अनुयायी बताने वाले रामपाल के विलासिता की ये कहानी तब और भी हैरान करती है, जब तलाशी के दौरान आश्रम शक्ति वर्धक दवाएं भी हाथ लगती हैं. पुलिस की मानें तो रामपाल के आश्रम से पुलिस को शक्ति वर्धक दवाएं भी मिली हैं, जिसका इस्तेमाल अक्सर लोग अपनी कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए करते हैं.

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रामपाल की विशाल रसोई और आध्यात्म के आडंबर के लिए तैयार एक प्रवचन घर भी है. एक तरफ इस विशाल हॉल में एक साथ हजारों लोगों के सोने-बैठने का इंतजाम है. वहीं दूसरी तरफ आश्रम की रसोई से हर रोज हजारों लोगों की पेट भरती है. लेकिन दिक्कत तब है, जब प्रवचन के नाम पर आंडबर हो और इस रसोई का खाना खिलाकर बेगुनाह और भोले-भाले भक्तों को कानून से बचने के लिए ढाल बना लिया जाता हो.

पुराना है रामपाल और जेल का रिश्ता
रामपाल पहली बार एक मर्डर केस में साल 2006 में जेल गया था. उसके बाद से वो तमाम तरकीबें निकलकर पुलिस और कानून के हाथों से बचता रहा. लेकिन इस बार चली रामपाल की इस नई नौटंकी के बाद अब उस पर 19 संगीन धाराएं लगाई गई हैं. इन धाराओं में उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा मुमकिन है. पुलिस के हत्थे चढ़ते ही सारी हेंकड़ी हवा हो गई रामपाल की. ड्रामेबाजी तो गिरफ्तारी के बाद खूब की बाबा ने, लेकिन पुलिस ने उसके अपराधों की लिस्ट और उस पर लगाई धाराओं का हवाला दिया तो जैसे हलक सूख गया. अदालती आदेश को चुनौती देते हुए रामपाल ने जो किया है, उसके बदले सजा-ए मौत तक हो सकती है. इसके अलावा आधी से ज्यादा संपति गंवानी पड़ सकती है.

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कौन-कौन सी धाराएं
रामपाल पर धाराएं ऐसी लगी है कि अब कोई तिकड़म नहीं काम आ सकता. पुलिस ने बाबा रामपाल और उसके प्रवक्ता, आश्रम प्रबंधक कमेटी व अनुयायियों पर देशद्रोह जैसी संगीन 19 धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. इनमें धारा-120, जो आपराधिक साजिश से जुड़ा है. इसमें सजा अपराध की गंभीरता के हिसाब से तय होगी. धारा-121, इसके तहत आरोप देश द्रोह का है, जिसमें सजा उम्रकैद से लेकर फांसी तक हो सकती है. धारा-121-ए, इसमें देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचने का मामला है. सजा उम्रकैद तक होती है. धारा-122, इसके तहत युद्ध की मंशा से हथियार जमा करने का आरोप लगाया गया है, इसमें सजा उम्रकैद तक की हो सकती है. इसके अलावा हत्या की कोशिश में धारा-123, सजा हो सकती है 10 साल से उम्रकैद तक की. धारा-436, आगजनी करना, जिसमें सजा 10 साल से उम्रकैद तक की सुनाई जा सकती है.

इन धाराओं के अलावा सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने, बंधक बनाने, आपराधिक षड्यंत्र रचने जैसी धाराएं भी रामपाल पर लगाई गई है. यानी अपराध साबित हुआ, तो कमसे कम उम्र भर के लिए जेल की हवा खानी तय है. इतना ही नहीं, बाबा को हर्जाना भी 50 करोड़ रुपये का चुकाना पड़ सकता है. हाईकोर्ट पहले ही कह चुका है गिरफ्तारी के लिए 60 घंटे की घेराबंदी और 45 हजार जवानों तैनात किए जाने पर जो भी खर्चा आया है, उसे बाबा की संपत्ति से वसूला जा सकता है. यानी जुर्माना लगा तो बाबा की करीब आधी संपति समझिए गई.

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