
हरियाणा के एक छोटे से गांव के दो प्रॉपर्टी डीलर महिपाल और सतीश को धंधे में कुछ नुकसान हो गया था. महिपाल और सतीश रिश्ते में जीजा साला भी थे. इसी के बाद सतीश पहली बार आइडिया देता है बैंक लूटने का. दरअसल महिपाल का ये घर पंजाब नेशनल बैंक के पास था. पर घर चार साल से बंद पड़ा था. धंधे में नुकसान होने के बाद सतीश महिपाल को कहता है कि अगर किसी तरह हम बैंक में घुस जाएं तो बैंक लूट सकते हैं. इसी के बाद महिपाल के घर से बैंक तक सुरंग खोदने की सजिश रची जाती है.
साजिश के तहत महिपाल अपने गांव के तीन और लड़कों को अपने साथ शामिल कर लेता है. इनमें एक मेडिकल कालेज में लैब अटेंडेंट था, दूसरा गांव का बढ़ई और तीसरा बेरोजगार. अब ये पांच लोग मिल कर डेढ़ महीने पहले यानी सितंबर में सुरंग खोदने का काम शुरू करते हैं.
पांचों को अलग-अलग टास्क दिया गया था. महिपाल घर पर सिर्फ पहरा देता था कि कोई आ तो नहीं रहा. बढ़ई सुरंग खोदता था. सुरेंद्र सरंग की मिट्टी बाहर निकालता था. बलराज वो मिट्टी बाहर इस तरह ठिकाने लगाता था कि किसी को शक ना हो. जबकि सतीश सुरंग की लंबाई, गहराई और चौडाई का खाका खींचता था.
सुरंग खोदने के लिए पांचों ने बिल्कुल देसी तरीका अपनाया था. इसके लिए वो खुरपा और गैंती का इस्तेमाल करते थे. खुदाई के दौरान बिल्कुल शोर ना हो इसका पूरा ख्याल रखते थे. हमेशा खुदाई दिन के वक्त ही किया करते थे और एक बार में दो से ढाई घंटे से ज्यादा खुदाई नहीं करते थे ताकि मिट्टी ज्यादा जमा ना हो.
खुदाई से पहले महिपाल और सतीश ने कई बार अंदर के जाकर रैकी की थी. लॉकर रूम कहां है सुरंग का मुंह कहां खुलना है ये सब उन्होंने पहले से प्लान कर रखा था. कहते हैं कि सुरंग की खुदाई 25 अक्तूबर से पहले ही पूरी हो चुकी थी. मगर ये लोग रविवार की छुट्टी का इंतजार कर रहे थे. इसलिए 26 अक्तूबर को जब बैंक बंद था तभी इन्होंने सुरंग का आखिरी सिरा खोला और फिर सारा माल बैंक से पहले घऱ लाए और फिर घर से सारा माल गांव ले गए.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस बैंक रॉबरी की जिस तरह से मीडिया में खबर आई उसी के बाद खुद लुटेरों में से किसी ने गांव में बड़बोलेपन में शायद अपना राज उगल दिया और इस तरह फोन की शक्ल में पुलिस तक उनका सच पहुंच गया. हालांकि पुलिस बेशक मामला सुलझा लिया है पर लूट का सारा माल बरामद होना अभी बाकी है. जिन 86 लॉकर्स को लूटा गया है उन लॉकरों के मालिकों ने जो हिसाब-किताब बैंक को दिया है उसके मुताबिक लूटे गए गहने की कीमत लगभग सौ करोड़ है.