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खरगोन में खुदकुशी की खौफनाक कहानी, सुन आंखों में आ जाएगा पानी

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से 175 किलोमीटर दूर ये है खरगोन जिला. जिसे नवग्रह की नगरी के तौर पर भी जाना जाता है. पिछले छह महीने से इस जिले में हर रोज़ कम से कम दो लोग खुदकुशी कर रहे हैं.

जिले में लोग अवसाद के शिकार जिले में लोग अवसाद के शिकार

हिंदुस्तान के एक जिले में पिछले करीब छह महीने से मौत मानो कुंडली मार कर बैठी है. जिले का हर गांव और गांव का हर घर चौबीसों घंटे सहमा-सहमा सा है. सहमा इसलिए क्योंकि न मालूम कब किस घर से किसकी मय्यत उठने की खबर आ जाए. कमाल ये है कि न तो कोई यहां किसी को मार रहा है, न कोई बीमार है और ना ही सूखे या भूखे किसान की कोई दिक्कत है. पर फिर भी हर रोज इस जिले के लोग अपने हाथों अपनी जान ले रहे हैं.

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हर दिन हो रही दो मौत
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से 175 किलोमीटर दूर ये है खरगोन जिला. जिसे नवग्रह की नगरी के तौर पर भी जाना जाता है. पिछले छह महीने से इस जिले में हर रोज़ कम से कम दो लोग खुदकुशी कर रहे हैं. न तो वो किसान हैं और ना ही सूखे की मार से परेशान. बल्कि ये सब आम लोग हैं.

डॉक्टरों हुए परेशान
हर कोई हैरान है. सरकार से लेकर एक्सपर्ट और डॉक्टरों की टीम तक उलझन में है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर देश के इस एक खास इलाके में अचानक लोग खुदकुशी क्यों कर रहे हैं? क्यों उनके जीने की ख्वाहिश लगातार खत्म होती जा रही है?

हर तीसरे घर में की किसी ने खुदकुशी
खरगोन जिले का ही एक गांव है. नाम है बाड़ी खुर्द. क्या आप यकीन करेंगे कि अकेले इस गांव में हर तीसरा घर ऐसा है, जहां किसी ना किसी खुदकुशी जरूर की है. इस गांव में अब तक 80 लोगों की मौत सिर्फ खुदकुशी की वजह से हुई है. इनमें कई परिवार तो ऐसे हैं, जिनमें दो या दो से ज्यादा लोगों ने अचानक ही रहस्यमयी तरीके से मौत को गले लगा लिया. आलम ये कि दो महीने पहले इस गांव के सरपंच जीवन सिसोसिया ने भी अपनी जान दे दी. जीवन की लाश खुद उनके घर के सामने एक पेड़ से लटकी मिली.

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हालांकि यहां ना तो खुदकुशी की वजह एक है और ना ही तरीक़े एक से. यही वजह है कि ये गांव अब लोगों के लिए एक पहेली बन चुका है.

प्रशासन की ओर से चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
अब हालत ये है कि जिला प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने भी आगे आकर लोगों को समझाने-बुझाने के सिलसिले की शुरुआत की है. गांव में जागरूकता के कार्यक्रम चला कर लोगों को ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि जिंदगी बहुत कीमती है और इसे यूं ही किसी बात कर गंवाना कोई समझदारी नहीं है. लेकिन फिलहाल इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं कि आखिर इस मास डिप्रेशन से खरगोन को कब तक और कैसे छुटकारा मिल पाएगा.

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