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बिहार पुलिस की लापरवाही की वजह से रॉकी यादव की गिरफ्तारी में हुई देरी

बिहार पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए भरी प्रेस कांफ्रेंस में इस पिस्टल की नुमाइश कर दी. मीडिया को पिस्टल दिखाना गलत बात नहीं है. मगर चूंकि ये इस केस का एक अहम सबूत है तो इसे फॉरेंसिक जांच से पहले अमूमन पॉलीथिन बैग में सील बंद कर रखा जाता है

पिस्टल को हाथ से छुआ पिस्टल को हाथ से छुआ
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2016,
  • अपडेटेड 6:23 AM IST

हिंदुस्तान क्या दुनिया की किसी भी पुलिस की ऐसी तस्वीर आपको देखने को नहीं मिलेगी. ये करिश्मा बस बिहार पुलिस ही दिखा सकती है. रॉकी की वो पिस्टल, जिससे उसने एक घर के चिराग को हमेशा के लिए बुझा दिया. यानी कत्ल का सबसे अहम सबूत, उस पर लगे उंगलियों के निशान खुद कानून ही मिटाने पर तुला है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिना पॉलीथिन दिखाई पिस्टल
चौतरफा फजीहत के बाद किसी तरह रॉकी जब हाथ आ गया तो बिहार पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए भरी प्रेस कांफ्रेंस में इस पिस्टल की नुमाइश कर दी. मीडिया को पिस्टल दिखाना गलत बात नहीं है. मगर चूंकि ये इस केस का एक अहम सबूत है तो इसे फॉरेंसिक जांच से पहले अमूमन पॉलीथिन बैग में सील बंद कर रखा जाता है. नंगे हाथों से छूने का तो सवाल ही नहीं उठता. मगर यहां ये पुलिस अफसर ये पिस्टल बाकायदा अपने नंगे हाथों में उठा कर दिखाता है.

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अब फॉरेंसिक जांच में इस पिस्टल पर रॉकी की उंगलियों के निशान आएंगे या इस पुलिस अफसर के इसके लिए अलग से किसी जांच की जरूरत नहीं है. वैसे भी ये तो कैमरे के सामने हुआ तो पकड़ में आ गया. पीछे न जाने अब तक कितनी ही उंगलियों के निशान इसपर छप चुके होंगे.

आदित्य के कपड़े पोस्टमार्टम रूम के बाहर फेंके
आदित्य के खून से सने कपड़े भी केस के हिसाब से बेहद अहम हैं. इन्हें भी फॉरेसिंक जांच के लिए भेजी जानी चाहिए थी. जिसके लिए बाकायदा पटना से एफएसएल की टीम भी आई थी. मगर कमाल यह था कि कत्ल के वक्त आदित्य ने जो कपड़े पहन रखे थे, खून से सने वो कपड़े पोस्टमार्टम रूम के बाहर फेंके मिले.

मां-बाप को पता था कहां छुपा है बेटा
7 अप्रैल की रात को बीस साल के नौजवान आदित्य की गोली मार कर हत्या करने के बाद रॉकी सबसे पहले अपने घर गया था. घर पर उसने अपनी लैंड रोवर गाड़ी पार्क की. फिर गया में ही जाकर छुप गया. उस पूरी रात रॉकी के मां-बाप को पता था कि वो कहां छुपा है. पर तब तक मामला उछला नहीं था. इसके बाद अगले दिन जब हंगामा शुरू हुआ और दबाव बढ़ा तब पुलिस ने रॉकी के बाप को गिरफ्तार कर उसका मोबाइल जब्त कर लिया. ताकि रॉकी घरवालों से संपर्क करे तो पुलिस को पता चल जाए. मगर सत्ताधारी पार्टी की दबंग विधायक मनोरमा देवी पर पुलिस ने तब भी हाथ नहीं डाला. हालांकि रॉकी लगातार अपनी मां के संपर्क में था. दरअसल पुलिस तब पटना से हरी झंडी का इंतजार कर रही थी.

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मनोरमा देवी कर रही थी पुलिस से डील
इधर पुलिस इंतजार कर रही थी उधर मनोरमा देवी लगातार पुलिस से डील करने की कोशिश कर रही थी. इसी दौरान मनोरमा देवी ने पुलिस के सामने शर्त रखी कि रॉकी अदालत में सरेंडर करेगा. मगर इस शर्त पर कि पुलिस उसे टॉर्चर तो दूर एक थप्पड़ भी नहीं मारेगी. साथ ही रॉकी को शरण देने के मामले में उसके खिलाफ न तो कोई मामला बनाएगी और न ही उसे गिरफ्तार करेगी.

वक्त निकलता जा रहा था और रॉकी हाथ नहीं आ रहा था. मीडिया भी लगातार दबाव बनाए हुए थी. इसी के बाद दस मई को पटना से सिग्नल मिलते ही आईजी एसएसपी को फरमान देते हैं कि किसी भी कीमत पर रॉकी को फौरन गिरफ्तार किया जाए. इसी के बाद पुलिस मनोरमा देवी को डील का भरोसा दिलाती है और मनोरमा पुलिस की मौजूदगी में रॉकी को फोन करती है. रॉकी का पता पहले से ही मालूम था. फिर दस मई की रात को ही करीब दो बजे रॉकी अपने बाप की फैक्ट्री से पकड़ा जाता है.

पर रॉकी की गिरफ्तारी से ऐन पहले इसी कवायद के दौरान पुलिस जब मनोरमा देवी के घर छापा मारती है तब वहां से विदेशी शराब की कई बोतलें मिलती हैं. शराबबंदी वाले बिहार में ये जुर्म है. पर पुलिस उस वक्त इस जुर्म में मनोरमा को गिरफ्तार नहीं करती. क्योंकि पहले उसे उसी मनोरमा के जरिए रॉकी को पकड़ना था. मगर खेल देखिए जैसे ही रॉकी पकड़ा गया मनोरमा गायब.

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रॉकी को पकड़ने के लिए पुलिस ने पहले उसके बाप को पकड़ा. फिर मां मनोरमा के जरिए रॉकी को पकड़ा. यानी अब मनोरमा का पति और बेटा दोनों सलाखों के पीछे हैं. तो सवाल ये उठता है कि मनोरमा को पकड़ने के लिए अब पुलिस किसपर दबाव बनाएगी? देखना दिलचस्प होगा.

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