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नायडू की नेताओं को नसीहत, कहा- पार्टियां बनाएं आचार संहिता

वेंकैया नायडू की किताब का विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच.डी. देवेगौड़ा ने मोदी के साथ मंच साझा किया. साथ ही वित्तमंत्री अरुण जेटली व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी यहां मौजूद रहे.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संसद में हंगामे को लेकर 'नाखुशी' जाहिर की और कहा कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सभी पार्टियों के सांसदों को एकजुट होना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों से आह्वान किया कि वे अपने सदस्यों के लिए सदन के अंदर व बाहर दोनों जगह के लिए आचार संहिता पर सर्वसम्मति बनाएं. नायडू ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि अगर नहीं होता है तो जल्दी ही लोग जल्दी ही हमारी राजनीतिक प्रक्रिया व संस्थानों में अपना विश्वास खो देंगे.

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रविवार को वेंकैया नायडू ने दिल्ली में अपनी किताब 'मूविंग ऑन, मूविंग फॉरवर्ड: अ इयर इन ऑफिस' के विमोचन के मौके पर कहा कि मैं थोड़ा नाखुश हूं कि संसद को जैसा काम करना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है. मुझे अपनी अध्यक्षता में राज्यसभा के दो सत्रों के दौरान कामकाज को लेकर निराशा को अपनी किताब में शामिल करने को लेकर मुझे कोई हिचकिचाहट नहीं हुई.

हाल में संपन्न हुए मॉनसून सत्र का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस सत्र में नए संकेत दिखे, जिससे उम्मीद है कि यह रुझान भविष्य में भी जारी रहेगा.

उन्होंने कहा, 'उम्मीद बनी है, लेकिन इस ढर्रे पर बने रहने की जरूरत है. मेरा ईमानदारी भरा प्रयास है कि इस संस्थान के कद के अनुरूप जानकारीपरक व गरिमापूर्ण बहस हो. मैं वास्तव में महसूस करता हूं कि सभी पार्टियों को राजनीतिक विचारधारा से आगे बढ़कर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर एकजुट होना चाहिए.'

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नायडू ने कहा कि अंतिम सत्र को सही रूप से सामाजिक न्याय का सत्र कहा जाना चाहिए. उन्होंने सभी सांसदों से आग्रह किया कि उन्हें सामाजिक न्याय की अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता को दिखाते हुए महत्वपूर्ण कानूनों पर विचार करना चाहिए और इन्हें पारित करना चाहिए.

तीन तलाक पर भी बोले नायडू

उन्होंने उम्मीद जताई की राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों पर निरपेक्षता के साथ विचार करेंगे और सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्र में उनके लिए आरक्षण का कानून बनाएंगे. लंबित तीन तलाक विधेयक का प्रत्यक्ष तौर पर जिक्र करते हुए नायडू ने कहा, 'हमें महिलाओं के खिलाफ धर्म व दूसरे कारकों के आधार पर भेदभाव को खत्म करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए.'

इसी तरह से उपराष्ट्रपति ने राजनेताओं के खिलाफ चुनावी याचिकाओं व आपराधिक मामलों के उचित समय में निपटाए जाने की जरूरत बताई.

उन्होंने राज्य विधानसभा के ऊपरी सदनों में राष्ट्रीय नीति पर विचार करने व फैसला लेने पर जोर दिया और कहा कि ये सभी प्रयास स्वच्छ राजनीति व पारदर्शी जन केंद्रित शासन के लिए तैयार किए जाने चाहिए.

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