
शारदीय नवरात्र में दुर्गापूजा के दौरान माहौल एकदम भक्तिमय हो उठता है. नवरात्र में लोग शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना करते हैं. इस पूजा के आयोजन में हर किसी की यह भी इच्छा होती है कि उसे भव्य पंडालों और उसकी मनमोहक झांकी को भी निहारने का मौका मिले.
इस नवरात्र में लोगों को कई समसामयिक मुद्दों पर आधारित झांकियां देखने को मिलेंगी. पूर्वी भारत के इस सबसे बड़े त्योहार के साथ केवल धार्मिक श्रद्धा ही नहीं जुड़ी है, बल्कि इस दौरान पंडालों में लगने वाली झांकियों में समाज का चित्रण भी होता है. इस बार के दुर्गा पूजा पंडालों में मानवाधिकारों से लेकर आपदा और जीव-विज्ञान के भी दर्शन होंगे.
समसामयिक विषयों का चित्रण करते हुए इस बार के दुर्गोत्सव में नेपाल भूकंप त्रासदी से लेकर जीएम फूड्स, ऐतिहासिक भारत-बांग्लादेश परिक्षेत्र अदला-बदली जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर झांकियां देखने को मिलेंगी.
कस्बा शक्ति संघ देश में सबसे बड़े बांग्लादेशी परिक्षेत्र मशलदंगा के ग्रामीण जीवन के चित्रण के जरिए दर्शकों को भारत-बांग्लादेश के बीच दो माह पूर्व हुए परिक्षेत्रों की अदला-बदली के बाद वर्तमान में इन इलाकों के निवासियों के जीवन में झांकने का मौका देगा. इसके लिए मिट्टी और लकड़ी की कम से कम 60 आकृतियों का प्रयोग किया गया है.
झांकियों के माध्यम से आयोजनकर्ता लोगों की भारत-बांग्लादेश सीमा के लोगों की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. संघ के सह सचिव सनत के. मुखर्जी ने बताया, 'शहरों में रहने वाले उनकी समस्याओं से अनभिज्ञ होते हैं. ऐसे में इस बारे में जानने का यह अच्छा मौका है.'
दर्शकों को थीम समझाने के लिए पूर्व परिक्षेत्र के 12 निवासियों को आमंत्रित किया गया है, जिन्हें अब भारतीय नागरिकता मिल चुकी है. परिक्षेत्रों के संबंध में चलाए गए मीडिया अभियान के मुखिया रक्तिम दास ने कहा, 'वे इस अदला-बदली से पूर्व के अपने अनुभवों के बारे में बताएंगे और विस्थापन से संबंधित समस्याओं पर भी रोशनी डालेंगे.'
नेपाल के भूकंप की सजीव झांकी
नेपाल की भूकंप त्रासदी के चित्रण के लिए उत्तरी कोलकाता में कुमारतुली पार्क सर्बोजनिन दुर्गोत्सव कमेटी के पूजा स्थल पर भूकंप पीड़ित नेपाल और भारत की मदद की झांकी पेश की जाएगी. नेपाल में भूकंप से पैदा हुए मलबे के ऊपर मंडराते भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर और राहत और बचाव कार्य करते भारतीय सेना के जवानों के आदमकद मॉडलों की मदद से मानवता और संवेदनाएं दर्शाई जाएंगी. प्रकाश और ध्वनि प्रभाव की मदद से यह अनुभूति कराई जाएगी कि भूकंप में समय कैसा महसूस होता है.
पर्यावरण व विज्ञान पर भी फोकस
जन स्वास्थ्य के मुद्दों और खाद्य उत्पादों के कारण पर्यावरण पर मंडराते खतरे के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ताला बरोवाड़ी दुर्गोत्सव समिति जीन परिवर्धित जीवों(GMO) और वर्ण संकरों को दर्शाएगी.
आयोजनकर्ता इस विचार को दो अक्टूबर के वैश्विक मुहिम 'मार्च एगेंस्ट मोनसेंटो' के साथ आगे बढ़ाने की योजना भी बना रहे हैं, जिसका उद्देश्य खाद्य उत्पादों के चयन के बारे में जानकारी बढ़ाना है.
अपने 95वें वर्ष में प्रवेश कर रही इस पूजा समिति के कार्यकारी सचिव अभिषेक भट्टाचार्य ने बताया, 'अधिकांश लोग जीएमओ के बारे में नहीं जानते. अगर उत्पादों पर सही निर्देश होंगे, तो उपभोक्ता जीएम उत्पादों के बारे में सही फैसला ले पाएंगे.'
कविताओं की भी मदद
झांकी के चित्रण को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए आयोजकों ने फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के बेटे बंगाली कवि और नाटककार सुकुमार रे की प्रसिद्ध कविताओं के संकलन 'अबोल तबोल' की भी मदद ली है. कविताएं वर्ण संकर जीवों सहित अद्भुत जीवों के बारे में हैं और पश्चिम बंगाल के बाल साहित्य का एक महत्पूर्ण हिस्सा हैं.
इसी तर्ज पर संकर नस्ल के पौधों और जीवों की 20 फुट से बड़ी 3D आकृतियों को दर्शाया जाएगा. इसी के साथ जीएमओ फसलों पर जानकारी और उनके स्वास्थ्य प्रभावों को भी विशिष्ट तौर पर दर्शाया जाएगा.
इनपुट: IANS