
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में नोटबंदी से किसान परेशान हैं. कृषि मंडी में फसल बेचने के बावजूद भी उन्हें नकद ना मिलने से खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं. व्यापारियों के मुताबिक उनका व्यापार ठप्प पड़ गया है.
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के अकोला जिले में किसानों की परेशानी देख किसी का का भी दिल रो पड़ेगा. नोटबंदी के कारण यहां के किसानों का हाल महाराष्ट्र के अन्य किसानों की तरह ही है. कोठारी गांव अकोला के मुर्तिजापुर सड़क से 30 किलोमीटर दूरी पर है. इस गांव में रहने वाले एक किसान दत्तू शिराले शनिवार को अपने खेत की 11 बोरी सोयाबीन अकोला कृषि उत्पन्न बाजार समिति में बेचने के लिए ले गए.
नकद में होते हैं किसानों के सौदे
व्यापारी ने किसान की सोयाबीन को ठीक दाम से खरीदा, लेकिन दत्तू को पैसा नकद नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई. व्यापारी ने उन्हें 23 हजार का चेक दे दिया. किसान के अधिकतर सौदे नकद में होते हैं. सोयाबीन बेचने गए दत्तू को घर आते ही मजदूरों की मजदूरी अदा करनी थी, लेकिन उसे ना चुकाने पर उसे मजदूरों के भली-बुरी बातें भी सुननी पड़ी.
नोटबंदी से 80 फीसदी व्यापार ठप्प
नोटबंदी के बाद अकोला मंडी में व्यापारी व्यापार खत्म होने की बात कर रहे हैं. सरकार ने 50 हजार की सहूलियत दी है, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हो रहा क्योंकि किसान को नकद चाहिए. कृषि मंडी के सभापति ने बताया कि नोटबंदी के बाद लगभग 80 फीसदी व्यापार ठप्प पड़ा है.
किसानों को दिए जा रहे पुराने नोट या चेक
नोटबंदी के बाद किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल अब खरीफ की फसल निकाल उसे मंडी में बेचने लाया जा रहा है, लेकिन किसान अधिकतर सौदे नकद में होने से उन्हें खुदरे की कमी के चलते व्यापारी फसल के दाम पुराने नोटे या फिर चेक से दे रहे हैं, जिससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. खरीफ की फसल के बाद किसानों को अब रबी की फसल बोना है, लेकिन उनके पास इसके लिए पैसे नहीं हैं.