Advertisement

SC ने पूछा- विकास दुबे इतना शातिर था तो पैरोल कैसे मिली? एनकाउंटर पर भी सवाल

विकास दुबे एनकाउंटर केस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की तरफ से SG तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी. हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था.

विकास दुबे एनकाउंटर पर सुनवाई विकास दुबे एनकाउंटर पर सुनवाई
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठाने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी. हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जांच कमेटी में पूर्व SC जज और एक पुलिस अधिकारी हमारे होंगे. यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत भी हो गई है.

Advertisement

सोमवार को सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने कहा कि मुठभेड़ सही थी, वो पैरोल पर था, हिरासत से भागने की कोशिश की. तुषार मेहता की इस दलील के बाद सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमे के बारे में बताएं. आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है, लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. आपने रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच भी शुरू की है. प्रशांत भूषण ने भी पीयूसीएल की ओर से मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि हैरानी की बात है इतने केस में शामिल शख्स बेल पर था और उसके बाद ये सब हुआ. कोर्ट ने इस पूरे मामले पर तफ्सील से रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि ये सिस्टम का फेल्योर दिखाता है. कोर्ट ने कहा कि इससे सिर्फ एक घटना दांव पर नहीं है, बल्कि पूरा सिस्टम दांव पर है. वहीं, यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत हो गई है.

Advertisement

बता दें कि यूपी सरकार ने मुठभेड़ की जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज का न्यायिक आयोग बनाने की बात कही थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने इस पर सवाल उठाए थे. जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने इसमें बदलाव की बात कही.

इसके अलावा संजय पारिख ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के मीडिया में आए बयानों से भी साफ है कि मुठभेड़ स्वाभाविक नहीं थी. इस पर सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बयानों को भी देखा जाए. अगर उन्होंने कोई ऐसा बयान दिया है और उसके बाद कुछ हुआ है तो इस मामले को भी देखना चाहिए.

अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी. यूपी सरकार को इस दौरा न्यायिक जांच पर ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पेश कराना होगा.

विकास दुबे एनकाउंटर और हैदराबाद मुठभेड़ में क्या है बड़ा अंतर? CJI ने बताया

बता दें कि 2 जुलाई की रात कानपुर कि बिकरू गांव में विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. इस हमलें में सीओ समेत 8 पुलिकर्मी शहीद हो गए थे. घटना के बाद विकास दुबे फरार हो गया था. 9 जुलाई की सुबह को वो उज्जैन के महाकाल मंदिर में मिला था. जहां से यूपी एसटीएफ विकास दुबे को कानपुर ला रही थी. कानपुर की सीमा में आते ही 10 जुलाई की सुबह एसटीएफ की गाड़ी पलट गई थी, जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार दिया. इस मुठभेड़ पर तमाम सवाल उठे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लगाई गई. उसी पर आज सुनवाई हुई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement