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ऐसा है बिहार के नए सीएम जीतन राम मांझी का गांव...

बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने जीतन राम मांझी एक खेतिहर किसान परिवार से आते हैं. गया जिले के खीजरसराय प्रखंड के महकार गांव के रहने वाले मांझी के मुख्यमंत्री बनते ही न केवल महकार गांव की गिनती वीआईपी गांवों में होने लगी है, बल्कि यहां प्रशासनिक चहल-पहल भी बढ़ गई है.

aajtak.in
  • गया (बिहार),
  • 22 मई 2014,
  • अपडेटेड 11:31 AM IST

बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने जीतन राम मांझी एक खेतिहर किसान परिवार से आते हैं. गया जिले के खीजरसराय प्रखंड के महकार गांव के रहने वाले मांझी के मुख्यमंत्री बनते ही न केवल महकार गांव की गिनती वीआईपी गांवों में होने लगी है, बल्कि यहां प्रशासनिक चहल-पहल भी बढ़ गई है. इसके बीच अब यहां के लोगों को विकास की उम्मीदें जग गई हैं.

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महकार के कुछ बीघे जमीन पर मुख्यमंत्री के परिवार अब भी खेती कराते हैं. मांझी जब मंत्री थे तब अक्सर रविवार को इस गांव में आकर अपनी खेती-बारी का हाल जानते थे. परंतु अब यहां के लोगों को यह संदेह हो रहा है कि क्या मुख्यमंत्री प्रत्येक सप्ताह इस गांव में आ पाएंगे. वैसे लोग भी मानते हैं कि उनकी जिम्मेदारियां बढ़ी हैं.

गया जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर खीरसराय प्रखंड के महकार गांव पहुंचने के लिए टूटी-फूटी सड़कों का सफर तय कर गांव पहुंचना पड़ेगा. बिहार के आम गांवों की तरह करीब 100 घरों वाले इस गांव में मिट्टी और फूस के मकान हैं. लोगों के लिए रोजगार के साधन नहीं हैं और अधिकतर लोगों के रोजी-रोजगार का साधन कृषि है.

गांव में न केवल प्रशासनिक महकमे की चहल-पहल बढ़ी है, बल्कि मीडिया की नजर भी इस गांव पर गई है. गांव के मध्य विद्यालय का हर छात्र आज खुशी से फूले नहीं समा रहा है, क्योंकि जीतन ने यहीं से पढ़ाई की थी. इस विद्यालय के शिक्षक नीरज कुमार कहते हैं, 'आज इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ने बिहार की बागडोर संभाली है. इससे ज्यादा खुशी की क्या बात होगी? जब इस विद्यालय के छात्रों को मुख्यमंत्री से इस विद्यालय के संबंध की जानकारी मिली तो सभी छात्रों ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया था.'

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अपने फूस के घर के बाहर बैठी 45 वर्षीय राजवंशी देवी को भी अपने जीतन बाबू के मुख्यमंत्री बनने की खुशी है, परंतु उन्हें अपने मकान की चिन्ता भी है. वह कहती हैं, 'अब इस गांव का एक व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री बन गया है, अब उसका घर भी पक्के का हो जाएगा.'

थोड़ी मायूसी, पर उम्मीद के साथ उन्होंने कहा, 'बाबू इ गांव में भी अब नेतवन और अफसरवन के ध्यान जतई और इहो गांव में पालतू जानवर और आदमी के पिए वाला पानी के सुविधा मिलतई.'

महकार गाव के स्कूली शिक्षा पूरी कर खिजरसराय जाकर 12 वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्र पवन कुमार को शिक्षा के क्षेत्र में इस इलाके में दिन बहुरने का इंतजार है. वह कहते हैं, 'आज इस गांव में 10वीं तक का विद्यालय है. अगर इस विद्यालय को 12वीं तक कर दिया जाए तो यहां के छात्रों को बाहर जाकर पढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी.'

इधर, जीतन राम के मुख्यमंत्री बनते ही गांव की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मंगलवार की शाम को मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद गया के पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी के निर्देश के बाद उनके पैतृक आवास की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक हथियार से लैस 20 जवानों को तैनात किया गया है.

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इसके अलावे खीजरसराय प्रखंड मुख्यालय से महकार गांव तक 12 किलोमीटर के रास्ते पर पुलिस गश्त तेज करने के निर्देश भी पुलिस अधिकारियों को दिए गए हैं.

मांझी के मित्रों में से एक गांव के मदन सिंह कहते हैं कि आज नेताओं में जहां दिखावे, धन और ऐश्वर्य की चाहत है, वहीं जीतन को कभी ऐश्वर्य और दिखावे की प्रवृति नहीं रही. पटना जाने के बाद लोग अक्सर शिकायत करते थे कि आपके फ्लैट में स्थान कम है. तब वह खुद नीचे सोने का स्थान बना लेते थे. लोगों के पूछने के बाद वह कई तरह के बहाने बना लेते थे.

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