
अयोध्या हनुमान गढ़ी के महंत और अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष ज्ञानदास की मानें तो राममंदिर निर्माण का हल हाईकोर्ट के फैसले के कुछ दिन बाद ही निकाल लिया गया था. बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी के साथ बातचीत के बाद राममंदिर से जुड़े सभी पक्षों के बीच उन्होंने सहमति भी बना ली थी. समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर होने ही वाले थे, लेकिन बीजेपी नेता विनय कटियार और अशोक सिंघल के चलते यह समझौता नहीं हो पाया था. क्योंकि ये लोग राम मंदिर का निर्माण नहीं चाहते बल्कि इस मुद्दे पर अपनी दुकान चलाना चाहते हैं. बाबरी के मुकदमे से हटे हाशिम अंसारी
बाबरी मस्जिद मुकदमे की पैरवी ना करने और रामलला को आजाद कराने का एलान करने वाले बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी ने पहले ही संकेत दिए थे कि उन्होंने और ज्ञानदास ने इस मुद्दे का हल निकाल लिया था. हिन्दू और मुसलमान सभी पक्षों से बात भी हो गई थी. इस संदर्भ में ज्ञानदास का खुलासा महत्वपूर्ण हो जाता है.
ज्ञानदास ने कहा, 'इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के दूसरे-तीसरे दिन हम लोगों ने सुलह-समझौते की बात की थी. उसमे हाशिम अंसारी, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा भी था. चक्रपाणी जी हिन्दू महासभा को भी बुलाया गया था. सब राजी हो गए थे. बिल भी तैयार हो गया, पर दस्तखत नहीं हो पाया. विश्व हिन्दू परिषद् के लोगों ने ही, चाहे विनय कटियार हों या अशोक सिंघल, समझौता होने से रोका. जनता इन्हें धार्मिक समझती है लेकिन ये अधर्मी लोग हैं. ये कभी भी भगवान राम के मंदिर के पक्ष में थे ही नहीं क्योंकि ये सभी अपनी दुकान चलाते हैं और उनका इससे व्यवसाय चलता है. इसलिए उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया.'
गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद मुकदमे की पैरवी ना करने और रामलला को आजाद कराने का ऐलान करने वाले बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी ने मंगलवार की रात ही साफ कर दिया था कि उन्होंने और ज्ञानदास ने इस मुद्दे का हल निकाल लिया था. हिन्दू और मुसलमान सभी पक्षों से बात भी हो गई थी. लेकिन विहिप समर्थित समझे जाने वाले विराजमान रामलला के सुप्रीम कोर्ट चले जाने के चलते यह समझौता नहीं हो सका था.