
ऑस्ट्रेलिया के इस भारत दौरे को एशेज से भी बढ़कर देखा जा रहा है. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल ने तो मौजूदा सीरीज को 2005 के एशेज के बाद सबसे शानदार सीरीज करार दिया है. लेकिन भारत के कप्तान विराट कोहली इस दौरे को शायद ही याद करना चाहेंगे. जानिए वे कौन-कौन सी वजह हैं-
1. पुणे टेस्ट में भारत की हार से सीरीज की शुरुआत हुई. ऑस्ट्रेलिया ने 333 रनों से टीम इंडिया को मात देकर सीरीज में 1-0 से बढ़त बना ली.
2. बंगलुरु टेस्ट में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को 75 रनों से जरूर मात दी, लेकिन डीआरएस पर दोनों कप्तानों के बीच तनातनी ने खिलाड़ियों का ध्यान विवाद की और मोड़ दिया. (स्टीव स्मिथ के LBW डिसिजन पर DRS लेने से पहले ड्रेसिंग रूम से पूछने के विवाद ने तूल पकड़ा)
3. रांची टेस्ट के पहले ही दिन लंच के बाद के सत्र में फील्डिंग के दौरान विराट अपना दाहिना कंधा चोटिल करवा बैठे. इसके साथ ही उनकी लय टूटी और इस चोट की वजह से उनके आगे खेलने पर प्रश्नचिह्न लगा.
4. आखिरी टेस्ट से पहले उनकी फिटनेस पर सारी निगाहें रहीं. जबकि ऑस्ट्रेलिया की टीम अपनी रणनीति बनाने में जुटी रही. उधर, बाहर से ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व खिलाड़ियों ने भारत पर अपने बयानों से लगातार दबाव बनाने की कोशिश की. ('द डेली टेलीग्राफ' में प्रकाशित एक लेख में विराट कोहली को डोनाल्ड ट्रंप बताया गया. कहा कि विराट अपने हिसाब से रूल्स में बदलाव कर रहे हैं. आईसीसी इस समय विराट का बाल भी बांका नहीं कर पा रही है)
5. आखिरकार वही हुआ, जिसकी अंदेशा था. चोटिल विराट कोहली को आखिरी टेस्ट से बाहर बैठना पड़ा. हालांकि वे पहले ही स्वीकार कर चुके थे कि शत प्रतिशत फिटनेस के बाद ही खेलेंगे.
6. लगातार 54 टेस्ट खेलने के बाद विराट को टेस्ट से बाहर रहना पड़ा. इस जोशीले खिलाड़ी के लिए मैदान से बाहर रहना न सिर्फ उनके लिए, बल्कि फैंस के लिए भी निराशाजनक माना जाएगा.
7. और सबसे बढ़कर इस सीरीज में बल्ले से नाकामी उन्हें सालती रहेगी. उन्होंने इस सीरीज में तीन टेस्ट में महज 46 रन बनाए. जो टेस्ट करियर के किसी भी सीरीज में उनके न्यूनतम रन से 88 रन कम है. विराट ने 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ उसकी धरती पर 13.40 की औसत से महज 134 रन बनाए थे.