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...इस टीम के साथ तो वर्ल्ड कप जीतने से रहे विराट कोहली

टीम में चैंपियंस ट्रॉफी से पहले ही कोच और कप्तान के विवाद ने मनोबल को थोड़ा गिराया था. अब खिताब हाथ से खिसकने के बाद टीम के कॉंबिनेशन के बारे में भी एक बार कोहली को सोचना होगा.

कोहली को तैयार करनी होगी अपनी टीम... कोहली को तैयार करनी होगी अपनी टीम...
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2017,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में करारी हार के बाद अब भारतीय टीम के भविष्य के लिए प्लान पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन तो किया लेकिन फाइनल में टीम डगमगा गई. बल्लेबाज, गेंदबाज, फील्डर हर किसी ने सभी को निराश किया. इस चैंपियंस ट्रॉफी को 2019 में होने वाले विश्वकप के सेमी-फाइनल के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन टीम इंडिया इस परीक्षा को पास करने में नाकाम ही रही.

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टीम में चैंपियंस ट्रॉफी से पहले ही कोच और कप्तान के विवाद ने मनोबल को थोड़ा गिराया था. अब खिताब हाथ से खिसकने के बाद टीम के कॉंबिनेशन के बारे में भी एक बार कोहली को सोचना होगा. क्या विराट कोहली इसी टीम को साथ लेकर 2019 का विश्वकप जीतने की सोच रहे हैं. क्या ये टीम 2 साल बाद इसी धरती पर होने वाले विश्वकप के जीतने के लायक है.

टॉप-ऑर्डर फेल तो सब फेल?
टीम इंडिया की सबसे बड़ी ताकत उसकी बल्लेबाजी है, लेकिन पिछले कुछ समय का रिकॉर्ड देखें तो टॉप ऑर्डर ही अधिकतर रन बनाता है. चैंपियंस ट्रॉफी में भी यही हाल रहा. ओपनर शिखर धवन, रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली पूरे टूर्नामेंट में शानदार फॉर्म में रहे, जिसके चलते मिडिल ऑर्डर को टेस्ट करने का मौका ही नहीं लगा. बाद में उसका ही खामियाजा फाइनल में टीम इंडिया ने भुगता. युवराज, धोनी, जाधव स्कोर करने में फेल रहे.

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क्या 2019 तक चल पाएंगे दिग्गज?
अभी टीम में सबसे सीनियर खिलाड़ी पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह हैं. विराट कोहली ही युवराज को टीम में वापिस लेकर आए थे, उन्होंने आने के बाद कुछ मैचों में अच्छा प्रदर्शन भी किया. लेकिन युवी लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, वहीं उनकी फिटनेस भी अच्छी नहीं है. जिसका असर उनकी फील्डिंग पर भी दिखता है.

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वहीं अगर महेंद्र सिंह धोनी की बात करें तो उनकी बल्लेबाजी ही काफी कम आती है. लेकिन अगर बल्लेबाजी आती है तो वह स्कोर करने में नाकाम रहते हैं. धोनी का टीम में योगदान बतौर विकेटकीपर ही ज्यादा दिखाई पड़ता है, लेकिन क्या सिर्फ उसके दम पर वह 2019 तक टीम में रहने लायक हैं.

विदेश में अश्विन को होता क्या है?
रविचंद्रन अश्विन मौजूदा समय में भारत के नंबर 1 स्पिनर हैं. लेकिन उनका अच्छा प्रदर्शन हमेशा देश में ही अच्छा होता है. विदेशी पिचों पर अश्विन किसी साधारण स्पिनर की तरह ही दिखते हैं. चैंपियंस ट्रॉफी में भी इनका यही हाल था, फाइनल में भी अश्विन कोई खास कमाल नहीं कर पाए थे. कोहली को याद रखना होगा कि विश्वकप भी इंग्लैंड में ही होना है.

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धोनी की तरह कठोर होना होगा!
विराट कोहली अगर 2019 विश्वकप जीत का सपना देखते हैं, तो उन्हें पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तरह ही कड़ा रुख अपनाना होगा. आपको याद होगा कि धोनी ने विश्वकप की तैयारी करने के लिए अपनी टीम बनाने पर ध्यान दिया था, कई मौकों पर उन्होंने सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों की ड्रॉप भी कर दिया था. वहीं 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में भी धोनी अपनी युवा टीम के साथ इंग्लैंड पहुंचे थे और उनके दम पर ही खिताब जीता था.

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