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एडिलेड से है विराट कोहली का खास रिश्ता!

अब इसे संयोग ही कहिए कि जिस मैदान पर कोहली ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ा वहीं पर इस बार टीम का नेतृत्व भी करेंगे.

विराट कोहली विराट कोहली
संदीप कुमार सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 दिसंबर को एडिलेड में जब टीम इंडिया मैदान पर उतरेगी तो हर किसी की नजर भावी कप्तान विराट कोहली पर होगी. वजह साफ है, महेंद्र सिंह धोनी करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं और बीसीसीआई की नजर भविष्य पर. फिलहाल दांव कोहली पर लगाया जा रहा है. हाल ही श्रीलंका के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में तो कोहली ने एक आक्रामक उत्तराधिकारी होने के संकेत दिए. क्रिकेट के जानकार उनकी रणनीति से खासे प्रभावित हुए और नतीजे भी कोहली के पक्ष में ही गए.

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कप्तान के तौर पर कोहली के लिए सबसे बड़ी खासियत यही रही है कि वह आगे आकर नेतृत्व करते हैं. प्लेइंग इलेवन पर फैसला, गेंदबाजी क्रम का चयन और सबसे अहम बल्लेबाजी करते हुए मैच फिनिश करने का जज्बा, अब तक तो हर मोर्चे पर सफलता ने कोहली के कदम चूमे हैं.

अब इसे संयोग ही कहिए कि जिस मैदान पर कोहली ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ा वहीं पर इस बार टीम का नेतृत्व भी करेंगे. पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जब टीम इंडिया 4-0 से हारी, तो निराशा के बीच कोहली में एक उम्मीद की किरण नजर आई. मानों एक 24 साल का युवा बल्लेबाज इशारों-इशारों में कह रहा हो कि अब वक्त हमारा है.

2011-12 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत की मजबूत मानी जाने वाली बैटिंग लाइनअप में कोहली एक मात्र ऐसे बल्लेबाज थे जिसने सैंकड़ा जड़ा. या फिर यूं कहें कि पूरे दौरे पर कोहली ने लड़ने की भूख दिखाई. जहां सहवाग, गंभीर, तेंदुलकर, द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए, वहां कोहली टीम के सम्मान के लिए जूझते रहे.

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शुरुआत दौरे के तीसरे टेस्ट मैच यानी पर्थ टेस्ट में ही हो गई जब कोहली ने अर्धशतक जड़ा. उनकी इस पारी के बाद ही सौरव गांगुली ने कहा था कि भविष्य में वह टीम इंडिया के लिए ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करेगा. हुआ भी ऐसा ही. आज टीम इंडिया की पूरी बल्लेबाजी उनके इर्द-गिर्द ही घूमती है. वह रन मशीन बन चुके हैं, कम से कम वनडे में तो उनका कोई मुकाबला नहीं.

क्रिकेटर कमेंटेटरों को आपने अक्सर कहते सुना होगा... this differentiates men from boys. हर युवा क्रिकेटर के करियर में एक इनिंग ऐसी होती है जिसपर यह जुमला सटीक बैठता है. कोहली ने यह पारी पर्थ टेस्ट मैच में खेली थी. मुश्किल पिच पर जहां धुरंधर फेल हो गए, उन्होंने 75 रन बनाए. इस अर्धशतक में भी सेंचुरी वाला सुकून था.

वैसे रिकॉर्ड बुक के हिसाब से कोहली ने अपना पहला शतक एडिलेड में जड़ा. इस पारी में 213 गेंदों का सामना कर उन्होंने 116 रन बनाए. यानी लगभग 50 का स्ट्राइक रेट. मतलब साफ था कि कोहली क्रीज पर टिके रहना चाहते थे, पर उन्हें किसी का साथ नहीं मिला. पर टीम इंडिया को अपना भविष्य का हीरो मिल चुका था. जब ऑस्ट्रेलिया का दौरा खत्म हुआ तो कइयों ने धोनी को कप्तानी से हटाए जाने की बात कही. वैसे उस वक्त कोहली को अगले कप्तान के तौर पर किसी ने प्रोजेक्ट तो नहीं किया. हालांकि उन्होंने आने वाले दिनों में रनों का अंबार लगाकर इस पद के लिए भी दावेदारी मजबूत कर दी.

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