
लगता है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवन मिल गया है. प्रदेश में कांग्रेस अभी तक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अगले विधानसभा चुनाव से ''बाहर रहने" की धमकी और चुनाव अभियान को कुछ नेताओं की समिति के सामूहिक नेतृत्व में चलाए जाने की बागियों की खुलकर मांग के बीच जूझ रही थी. आखिरकार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 7 अक्तूबर को मंडी में खुशनुमा माहौल वाली चुनावी जनसभा में इसे विराम दे दिया और पार्टी में खुशनुमा माहौल बनाते हुए घोषणा की, ''वीरभद्र सिंह जी, आप छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं.
आप सातवीं बार भी मुख्यमंत्री बनेंगे और पूरी कांग्रेस आपके साथ खड़ी है." कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में फिर वीरभद्र के नाम की घोषणा कर देने से भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. नेतृत्व के मसले को हल करने के अलावा अहम यह भी है कि कांग्रेस के विभाजित धड़े चुनाव के पहले एक साथ हो गए हैं. मंडी की रैली में राज्य इकाई के प्रमुख सुखविंदर सुक्कू (हिमाचल कांग्रेस में वीरभद्र के सबसे मुखर आलोचक) के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा सहित विभिन्न नेता मुख्यमंत्री के साथ दिखाई दिए.
दूसरी ओर भाजपा अभी तक अपने मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं कर पाई है. मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं में इसे लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है कि पार्टी के चेहरा पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल होंगे या केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा. यह अटकलें भी हैं कि पार्टी अमित शाह किसी नए चेहरे से चौंका सकते हैं. वीरभद्र के करीबी कांग्रेस नेता हर्ष महाजन कहते हैं, ''अब हमने बढ़त ले ली है.
यह समय पर लिया गया अच्छा फैसला है. पंजाब में जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम की घोषणा की गई थी, उसी तरह यहां भी राहुल गांधी ने मतदाताओं में किसी भी तरह के भ्रम को दूर कर दिया है." मंडी की जनसभा में राहुल ने हिमाचल में कांग्रेस और गुजरात में भाजपा सरकार की उपलब्धियों का तुलनात्मक चार्ट भी पढ़ा. उन्होंने कहा, ''हिमाचल में सरकारी क्षेत्र में 70,000 नई नौकरियों का सृजन किया गया, जबकि गुजरात में महज 10,000.
हिमाचल में बेरोजगारों को 1,000 रुपए का भत्ता दिया जा रहा है, जबकि गुजरात में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है." कई विश्लेषकों का मानना है कि बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सृजन के क्षेत्र में अच्छी तरक्की को देखते हुए 83 साल के वीरभद्र सिंह सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद कर रहे हैं.