
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने 5 अप्रैल, 2018 को अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा के साथ बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी (वीसी) के लेन-देन को लेकर फिर चेतावनी जारी कर दी कि इसका लेनदेन जोखिम भरा है और बैंक अपने स्तर पर इसकी ट्रेडिंग के लिए भुगतान की सुविधा न दें. ऐसे आदेश पहले भी आरबीआइ दे चुका है लेकिन हकीकत ये है कि उसने बिटकॉइन लेन-देन को अवैध घोषित नहीं किया है.
वीसी को लेकर सरकार और आरबीआइ के स्तर पर काफी असमंजस है जिससे लोगों में भी भ्रम बना हुआ है. सरकार देश की वर्चुअल करेंसी भी लाना चाहती है लेकिन बाजार के मौजूदा कारोबार पर चेतावनी भी जारी कर रही है.
भ्रम की स्थिति का सरकार को उल्टे नुकसान ही हो रहा है.
आरबीआई के दायरे में आने वाले वित्तीय संस्थानों को वर्चुअल करेंसी के लेन-देन के लिए भुगतान न करने को कहा गया है और इस संबंध में विस्तृत गाइडलाइन आने वाली है. लेकिन देश में वीसी एक्सचेंज बाकायदा अभी भी चल रहे हैं.
अहमदाबाद के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और अपना आइसीओ (इनीशियल कॉइन ऑफरिंग) लाने जा रहे मनन शाह का कहना है कि वीसी लेन-देन के लोग दूसरे तरीके निकाल लेंगे. कैश और हवाला में डीलिंग बढ़ने के आसार हैं.
ऐसा हुआ तो सरकार को अभी 18 परसेंट टैक्स खरीद-फरोख्त पर मिल रहा है वह भी नहीं मिलेगा.
दरअसल, सरकार मुद्रा को लेकर बहुत ज्यादा सतर्क है. वह मुद्रा पर अपना नियंत्रण खत्म या कम नहीं होने देना चाहती. अगर वर्चुअल करेंसी आई और लेन-देन उसी से होने लगा तो मुद्रा के मूल्य पर सरकार का दखल बंद हो जाएगा.
लेकिन सरकार वर्चुअल करेंसी लाना भी चाहती है क्योंकि ये सुविधाजनक और किफायती है. इसके अनेक फायदे भी हैं. रिजर्व बैंक ने इसके लिए एक समूह का गठन किया है जो इस साल जून तक रिपोर्ट देगा. पहले ये रिपोर्ट मार्च तक आनी थी.
अगर सरकारी वर्चुअल करेंसी आएगी तो जाहिर है वह रुपए के बराबर की ही होगी और उससे भुगतान का पूरा सीन बदल जाएगा.
दूसरी ओर, बिटकॉइन जैसी ग्लोबल वीसी की खरीद-फरोख्त से हाथ खींचने और अपनी वीसी लाने का विरोधाभास समझ से परे है. सरकार के स्तर पर वर्चुअल करेंसी को लेकर स्पष्टता न होने कारण भ्रम की स्थिति बन रही है.
ऐसा सिर्फ भारत में नहीं है, कुछ देशों को छोड़कर दुनिया की सभी सरकारें वीसी को लेकर इसी तरह पसोपेश में हैं. इसका नतीजा ये हो रहा है कि यहां के लोग दूसरे देशों में जाकर अपने ईसीओ और एक्सचेंज रजिस्टर करा रहे हैं.
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