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Conclave15: 'अगर आप विश्वनाथन आनंद नहीं हो तो ज्यादा पैसा नहीं कमा सकते'

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शतरंज के पूर्व वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने शतरंज पर खुलकर बात की। उन्होंने शतरंज के गुर भी सिखाए और बताया कि कंप्यूटर आने के बाद इस खेल में किस तरह बड़ा बदलाव आया है.

विश्वनाथन आनंद विश्वनाथन आनंद
रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शतरंज के पूर्व वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने शतरंज पर खुलकर बात की. उन्होंने शतरंज के गुर भी सिखाए और बताया कि कंप्यूटर आने के बाद इस खेल में किस तरह बड़ा बदलाव आया है.

शुरुआत कैसे हुई?
मैंने छह साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था. मां ने मुझे खेलना सिखाया. शुरुआत में हम 10 मिनट का गेम खेलते थे.

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आपकी खासियत?
मेरा पहला गेस बहुत अच्छा है. जब मैं यंग था, तब मेरा पहला गेस और भी अच्छा था.

जीवन का कोई यादगार किस्सा?
मैं तब ग्रांड मास्टर बन गया था. ट्रेन से सफर कर रहा था. एक बुजुर्ग ने मुझसे पूछा कि आप क्या करते हो? मैंने बताया कि शतरंज प्लेयर हूं. उन्होंने फिर पूछा कि आप क्या करते हो? मैंने वही जवाब दिया. उन्होंने फिर से पूछा कि आप काम क्या करते हो? मैंने बताया कि मैं प्रोफेशनल प्लेयर के तौर पर शतरंज खेलता हूं. उन्होंने कहा कि यंगमैन, खेल में करियर को लेकर बहुत रिस्क है. अगर आप विश्वनाथन आनंद नहीं हो तो आप ज्यादा पैसा नहीं कमा सकते.

अच्छी शतरंज खेलने के लिए क्या जरूरी है?
आपकी याददाश्त अच्छी होनी चाहिए. आपको इंटेलिजेंट होना चाहिए. फोकस अच्छा होना चाहिए. प्रोफेशनल खिलाड़ी बनने के लिए हफ्ते में कम से कम 30-40 घंटे खेलना चाहिए.

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आपने अभी तक कितने गेम खेले हैं?
मैंने अभी तक लगभग 12 मिलियन गेम खेले हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही गेम याद रहते हैं.

गेम से पहले क्या तैयारी करते हैं?
किसी भी गेम से पहले मैं दिमाग से बाकी सभी चीजों को बाहर निकाल देता हूं, ताकि मेरा दिमाग सिर्फ शतरंज के बारे में ही सोचे. दिन में 90 फीसदी मेरा दिमाग सिर्फ शतरंज के बारे में सोचता है.

शतरंज का पहला सबक?
जब आप कोई गेम हारते हो, तब आपको शतरंज का पहला सबक मिलता है.

कंप्यूटर के आने के बाद शतरंज में क्या बदलाव हुआ है?
कंप्यूटर से शतरंज खिलाड़ी बहुत जल्दी मैच्योर हो जाता है. आप दूसरे खिलाडि़यों के वीडियो देख सकते हैं. खिलाड़ी को कंप्यूटर की वजह से तैयारी करने में बहुत मदद मिलती है. जब मैं सबसे युवा ग्रांड मास्टर बना था, तब सिर्फ 18 साल का था, अब आप 11 साल की उम्र में ग्रांड मास्टर बनता हुआ देख पाएंगे.

मैग्नस कार्लसन से तुलना पर क्या कहेंगे?
हमारे बीच जनरेशन का अंतर है. कार्लसन तब आए थे, जब कंप्यूटर आ चुका था. मैंने उन्हें तब देखा था, जब मैं वर्ल्ड चैंपियन बन चुका था. युवा खिलाड़ी कैलकुलेशन के मामले में ज्यादा बेहतर हैं, उन्हें कंप्यूटर से बहुत मदद मिलती है.

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शतरंज में क्या बदलाव हुआ है?
एक वक्त था, जब आपको अच्छा शतरंज खिलाड़ी बनने के लिए रूस जाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

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