
नकल के आरोपी 634 छात्रों की याचिका सुन रही सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मामले को इसकी सुनवाई कर चुकी 2 जजों की पुरानी बेंच के पास भेजा है. 3 जजों की नई बेंच ने पुरानी बेंच से पूछा है क्या वो पूरे मामले की सुनवाई नए सिरे से करें या फिर सिर्फ सजा देने को लेकर ही सुनवाई करें.
सवालों और मुद्दों को तय करने के बाद 2 जजों की बेंच मामले को वापस 3 जजों की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजेगी. इसी साल 12 मई को जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की 2 जजों की पुरानी बेंच ने इन छात्रों को नकल का दोषी माना था, लेकिन सजा क्या दी जाए, इस पर दोनों जजों के बीच एक राय नहीं थी जिसके बाद मुख्य न्यायधीश ने मामला तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया था.
दो जजों में सजा को लेकर नहीं थी एक राय
जस्टिस चेलामेश्वर ने छात्रों को संगठित नकल का दोषी माना, लेकिन व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए सजा के तौर पर सभी छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद पहले 5 साल सेना में बिना किसी तनख्वाह
और सुविधाओं के काम करने का आदेश दिया. जबकि जस्टिस सप्रे ने हाई कोर्ट के फैसले को पूरी तरह सही ठहराया. हाई कोर्ट ने सभी छात्रों को मेडिकल प्रवेश परीक्षा में नकल का दोषी माना था और उनको डिग्री न देने
का आदेश दिया था.
हाई कोर्ट से नहीं मिली थी छात्रों को राहत
मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (व्यापम) ने 2008-2012 के एमबीबीएस बैच के लिए चुने गए 634 छात्रों को संगठित नकल का दोषी मानते हुए दाखिला रद्द कर दिया था. जबलपुर हाई कोर्ट में छात्रों ने
व्यापम के इस फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट से छात्रों को राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. 2 जजों की बेंच ने सजा पर अलग-अलग फैसला सुनाया, जिसके बाद मामला 3 जजों की बेंच को भेज
दिया गया.