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छत्तीसगढ़: जहां होता है बस धान, वहां धान ना बोने का फरमान

प्रदेश के बांधों में पानी की कमी के कारण सरकार ने किसानों को साफ कह दिया है कि वो रबी के मौसम में धान की फसल ना लगाएं क्योंकि सरकार हर साल उन्हें जिस तरह बांधों के जरिये पानी मुहैया कराती है, वैसा नहीं करवा पाएगी.

छत्तीसगढ़ में जल संकट छत्तीसगढ़ में जल संकट
सुनील नामदेव
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:01 PM IST

बारिश के मौसम में छत्तीसगढ़ के लोगों ने अंदाजा लगा लिया था कि जिस तरह से मॉनसून का रुख नजर आ रहा है वो मुश्किल हालात पैदा कर सकता है. लोगों की आशंकाएं सच साबित हुईं और राज्य के सभी बड़े बांधों में जल स्तर लगातार घटता जा रहा है. इसकी वजह है बारिश के मौसम में अपेक्षित जल भराव का नहीं होना.

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दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य में छोटे बड़े लगभग 44 बांध हैं और इनमें से 28 बांधों का जल स्तर 60% से भी कम है. जबकि 10 सामान्य जलाशय लगभग 80 फीसदी तक भरे हैं. ऐसे में सर्दी के चार महीने और गर्मी के चार महीने तक लोगों को पर्याप्त पानी मिल पाएगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है.

प्रदेश के बांधों में पानी की कमी के कारण सरकार ने किसानों को साफ कह दिया है कि वो रबी के मौसम में धान की फसल ना लगाएं क्योंकि सरकार हर साल उन्हें जिस तरह बांधों के जरिये पानी मुहैया कराती है, वैसा नहीं करवा पाएगी. इसकी वजह राज्य में बने सूखे के हालात बताये जा रहे हैं.

राज्य में सूखे की वजह से ग्राउंड वॉटर लेवल 800 से 1200 फीट नीचे तक चला गया है, जबकि राज्य के 44 बांधों में औसत से भी कम बारिश होने से जल भराव नहीं हो पाया है. इनमें से 18 बांध ऐसे हैं जो सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. इन बांधों में भरा पानी दिनों दिन कम होता जा रहा है. अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि गर्मी का मौसम आने के पहले ही ये बांध सूख सकते हैं.

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इन हालात में ठंड और गर्मी के चार- चार महीने यानि आठ महीने तक लोगों को दोनों वक्त पानी मुहैया कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा, लिहाजा सरकार ने किसानों को अधिक जल की खपत वाली फसलें लगाने से रोक दिया है. यहां तक कि रबी मौसम में धान और बासमती चावल की फसल लगाने पर पाबंदी लगाई गई है. सरकार ने इसका उलंघन करने पर किसानों को कड़ी कार्यवाही की चेतावनी दी है. सरकार ने यह भी कहा है कि वो किसानों को इसके लिए बांधों और नहरों से पानी नहीं देगी. उनके पम्पों के बिजली कनेक्शन भी काट दिए जाएंगे, उधर किसान सरकार के फैसलों को काला कानून बता रहे हैं. राज्य के सैकड़ों गांव में अभी से ही लोगों को कई किलोमीटर दूर से पानी लाने में विवश होना पड़ रहा है.

सरकार ने नगर पंचायत, नगर पालिकाओं और नगर निगमों को अलर्ट जारी कर कहा है कि जल संकट को देखते हुए पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए हैंड पंप सुधारे जाएं, नए बोरवेल की व्यवस्था की जाए और पीने के पानी के लिए भी क्राइसिस मैनेजमेंट के तहत फैसले लिए जाएं. इसके तहत शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में सरकारी पेयजल व्यवस्था के तहत पानी की कटौती जल्द लागू हो जाएगी.

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