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स्किल्स डेवलमेंट के हिसाब से किए गए हैं कोर्स डिजाइन: सी पी सिंह

गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्‍थ यूनिवर्सिटी एक यंग यूनिवर्सिटी के तौर पर जानी जाती है. यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के स्किल डेलवपमेंट पर भी खास ध्यान दिया जाता है.

CP Singh, Dean School of mass communication, IP University CP Singh, Dean School of mass communication, IP University
अनुराधा पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2015,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्‍थ यूनिवर्सिटी एक यंग यूनिवर्सिटी के तौर पर जानी जाती है. यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के स्किल डेलवपमेंट पर भी खास ध्यान दिया जाता है. यही वजह है कि एक के बाद एक अवॉर्ड इस यूनिवर्सिटी को मिल रहे हैं. हाल ही में गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्‍थ यूनिवर्सिटी (GGSIPU ) के स्‍कूल ऑफ मास कम्‍यूनिकेशन को डीएनए स्‍टार ऑफ इंडस्‍ट्री एजुकेशन अवॉर्ड से नवाजा गया है. इसी को लेकर पेश है स्‍कूल ऑफ मास कम्‍यूनिकेशन के डीन सी पी सिंह से बातचीत के कुछ अंश:

स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन में स्टूडेंट्स में स्किल डेवलपमेंट के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाते हैं?
स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन में स्टूडेंट्स के स्किल्स डेवलमेंट पर खास फोकस किया जाता है. हमारे यहां कोर्स ही इस हिसाब से डिजाइन किया गया है कि स्टूडेंट्स एक साल के फाउंडेशन कोर्स को करने के बाद जिस क्षेत्र में जाना चाहते है उसे चुन लें. सबसे पहले फाउंडेशन कोर्स होता है जिसमें स्टूडेंट्स विषय को समझ लेता है. उसके बाद हम स्टूडेंट्स को उनकी पसंद के हिसाब से स्पेशलाइजेशन चुनने का मौका देते हैं. स्टूडेंट्स चाहे तो फाउंडेशन कोर्स के बाद टीवी, कॉरपोरेट, न्यू मीडिया जैसे क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा समय-समय पर इंडस्ट्री से कई एक्सपर्ट को बुलाकर स्टूडेंट्स से बातचीत कराई जाती है. यही नहीं समय-समय पर वीडियो एडिटिंग, फोटोग्राफी, साउंड एडिटिंग, डिजाइनिंग की वर्कशॉप भी आयोजित कराई जाती है.

आपकी यूनिवर्सिटी में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को लेकर क्या कुछ किया जा रहा है?
हमारे यहां च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम पहले से सीमित तौर पर है. यूनिवर्सिटी इस पर अभी और काम कर रही है. हम इसे विस्तृत तौर पर लाना चाहते हैं इसके लिए सभी तैयारियां की जा रही हैं.

क्या वजह है कि आपके यहां ग्रेजुएशन करने के बाद स्टूडेंट्स को अच्छा प्लेसमेंट नहीं मिल पाता?
हमारी यूनिवर्सिटी प्रोफेशनल कोर्स कराती है इसलिए प्लेसमेंट के लिए हमारे यहां खास इंतजाम होते हैं. मास्टर कोर्स कर रहे स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट में कोई खास परेशानी नहीं होती.  75 फीसदी स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट हो जाता है. कुछ स्टूडेंट्स रह जाते हैं उनके लिए भी समय-समय पर प्रोग्राम्स किए जाते हैं. करियर एडवाइज सेल उन्हें लगातार सलाह देता है.

स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन में आप न्यू मीडिया पर क्या नया कर रहे हैं?
हमारे यहां न्यू मीडिया पर काफी फोकस कराया जाता है. इसके लिए डिजिटल मीडिया, कंटेंट, एडवरटाइजिंग, रिसर्च, ऐप्स, साइबर लॉ के विषय में पढ़ाया जाता है. इन विषयों पर फोकस करने के लिए एक्सपर्ट भी समय-समय पर आते हैं.

आम आदमी पार्टी आने के बाद एडमिशन क्राइटिरिया में क्या कुछ बदलाव होने जा रहा है?
ऐसा कुछ नहीं है. दरअसल पिछले साल जब आप की सरकार आई थी तो उन्होंने प्रॉस्पेक्टस की फीस 1000 रूपए से घटाकर 750 रूपए कर दी थी.  बस वहीं बदलाव है. तभी से प्रॉस्पेक्टस की फीस 750 रूपए है.

क्या वजह है कि आई पी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन को इतने अवॉर्ड मिल रहे हैं?
इसकी वजह  हमारी फैकल्टी है, हमारे एक्सपर्ट हैं जो स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं. हमारे यहां फैकल्टी की ऐज 53-40 साल के बीच की है. स्टूडेंट्स के फायदे के लिए हमे जो भी फैसला लेना होता है, हम जल्दी लेते हैं, दूसरी यूनिवर्सिटीज की तरह ज्यादा सोचते नहीं हैं.

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