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बंगाल में ममता का दबदबा बरकरार, CPM पर ऐसे भारी पड़ रही BJP

बंगाल में नंबर दो की सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गई है. 2014 के बाद से राज्य में बीजेपी का ग्राफ लगातार तेजी से बढ़ा है. जो कि कभी सत्ता में रही सीपीएम के लिए नई चुनौती बन रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

पश्चिम बंगाल की सियासत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बादशाहत बरकरार है. राज्य में एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में टीएमसी ने जीत दर्ज करके ये साबित कर दिया. पर अब बंगाल में नंबर दो की सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गई है. 2014 के बाद से राज्य में बीजेपी का ग्राफ लगातार तेजी से बढ़ा है. जो कि कभी सत्ता में रही सीपीएम के लिए नई चुनौती बन रही है.

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उपचुनाव के ये हैं संकेत

बंगाल में नवपाड़ा विधानसभा सीट पर हुई उपचुनाव में टीएमसी उम्मीदवार सुनील सिंह ने भारी मतों से जीत दर्ज की है. उन्हें एक लाख से ज्यादा वोट मिले. दूसरे नंबर पर बीजेपी के संदीप बनर्जी को 38,711 मत मिले. दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी को सीपीआई(एम) से ज्यादा वोट मिले हैं. सीपीएम 35497 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रही.

उलुबेरिया लोकसभा सीट पर भी टीएमसी ने जीत दर्ज की है. टीएमसी ने दिवंगत नेता सांसद सुल्तान अहमद की पत्नी सजदा अहमद चुनाव को मैदान में उतारा था. उन्होंने 4 लाख 70 हजार वोटों  जीत हासिल की है. पर बीजेपी प्रत्याशी अनुपम मलिक, सीपीएम और कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए दूसरे स्थान पर रहे. बीजेपी के लिए भले ही ये हार रही हो, लेकिन यह हार में छिपी जीत मानी जा रही है.

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बीजेपी का सीपीएम से आगे निकलना राज्य के बदलते सियासी माहौल का संकेत दे रहा है.है. यह नतीजे राज्य में कई दशकों तक शासन करने वाले वाममोर्चा और कांग्रेस पार्टी के लिए खतरे की घंटी की तरह साबित हुए हैं.  वहीं बीजेपी 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पॉजिटिव संकेत के तौर पर देख रही है.  

बीजेपी का मिशन बंगाल

बंगाल में सियासत में बीजेपी अपनी जड़े जमाने के लिए पुरजोर कोशिश में लगी है. 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार उसका ग्रॉफ राज्य में बढ़ा है. बीजेपी ने शुरू से ही ममता बनर्जी को मुस्लिम परस्त के तौर पर पेश करती रही है. बीजेपी आने वाले चुनाव में ममता की मुस्लिम परस्ती की छवि को भुनाने की कोशिश में है.

कैसे बढ़ रही बीजेपी की ताकत

राज्य की ममता सरकार के खिलाफ बीजेपी लगातार अभियान चलाने में जुटी है. बीजेपी सड़क तक पर संघर्ष करती हुई नजर आ रही है. इतना ही नहीं बीजेपी ने राज्य में अपने को मजबूत करने के लिए टीएमसी के दिग्गत नेता मुकुल राय को भी अपने साथ मिला. राज्य में मुस्लिम मतों को देखते हुए उन्हें भी गले लगाने में जुटी है. राज्य में बीजेपी मुस्लिम सम्मेलन किया है. पिछले साल हुए निकाय चुनावों में भी बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थीय

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कमजोर कांग्रेस, बिखरी सीपीएम के लिए नई चुनौती

राज्य के उलुबेरिया लोकसभा और नवपाड़ा विधानसभा सीट उपचुनाव को बीजेपी भले ही जीत न पाई हो लेकिन पार्टी मत प्रतिशत बढ़ा. जबकि नवपाड़ा विधानसभा कांग्रेस के पास थी.  इसके बावजूद उपचुनाव में चौथे नंबर पर आई. कांग्रेस का ग्राफ लगातार राज्य में दिन बा दिन गिरता जा रहा है. पहले लोकसभा, फिर विधानसबा और नगर निकाय के बाद अब उपचुनाव में कमजोर रही. वहीं लंबे समय तक राज्य की सत्ता पर राज करने वाली सीपीएम का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. दूसरे नंबर से अब वो तीसरे स्थान पर खिसक रही है. ऐसे में सीपीएम के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी बन रही है.

बीजेपी के राज्य में ये आकड़े

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 17 फीसदी वोटों के साथ दो सांसद जीतने में सफल रहे थे. सीपीएम के भी दो ही सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. लेफ्ट को जहां 2009 की तुलना में 13 सीटों का नुकसान हुआ था तो वहीं बीजेपी को एक सीट का फायदा हुआ था. इसके अलावा 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी 6 फीसदी वोट की बढ़ोत्तरी हुई और पार्टी को 10 फीसदी मत मिले. बीजेपी के तीन विधायक जीतने में सफल रहे. जबकि उसके गठबंधन को 6 सीटें मिली. इससे पहले बीजेपी के एक भी विधायक नहीं थे.

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