
लोकसभा में पेश होने से पहले नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) का विरोध जारी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएबी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. केंद्र सरकार की ओर से इस विधेयक को लेकर व्याप्त चिंताओं पर दिए जा रहे स्पष्टीकरण से भी दीदी के तेवर नरम नहीं पड़े हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को भी सीएबी और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) को लेकर कड़े तेवर दिखाए. उन्होंने बार- बार कहा कि सीएबी और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) एक सिक्के के दो पहलू हैं. दीदी ने एक बार फिर दोहराया कि मैं बंगाल में सीएबी को लागू नहीं करने दूंगी.
ममता बनर्जी ने कहा कि इसके लिए अगर मेरी जान चली जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं सीएबी को स्वीकार न करने वाली अंतिम इंसान रहूंगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं अन्य राजनीतिक दलों से भी सीएबी का समर्थन नहीं करने की अपील करती हूं.
गौरतलब है कि सीएबी के मसौदे को कुछ संशोधनों के साथ कैबिनेट ने पास कर दिया है. इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर देश में रह रहे गैर मुस्लिम शरणार्थियों को बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. इस विधेयक में भारत में निवास की अवधि की अनिवार्यता को भी 11 साल से घटाने का प्रस्ताव है.
बता दें कि इस विधेयक का असम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्य भी विरोध कर रहे हैं. नागरिकों ने इसे पूर्वोत्तर की भाषाई, सांस्कृतिक अस्मिता के लिए खतरा बताया है. वहीं असम के नागरिक संगठन, छात्र संगठनों समेत विविध संगठन ऐतिहासिक असम समझौते का उल्लंघन बता रहे हैं.