
आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी थर्ड फ्रंट बनाने की कवायद में जुटी हुई हैं. दिलचस्प बात यह है कि वो इस थर्ड फ्रंट में सिर्फ विपक्षी दलों को ही नहीं, बल्कि बीजेपी के नाराज नेताओं को भी शामिल करने की योजना में हैं. लिहाजा वो बुधवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा समेत अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगी. इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
थर्ड फ्रंट की संभावनाओं को लेकर चार दिवसीय दिल्ली दौरे आईं ममता बनर्जी ने मंगलवार को बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी सबसे ज्यादा सांप्रदायिक पार्टी है. इससे पहले मंगलवार को ही ममता बनर्जी के बुलावे पर विपक्षी दलों के साथ ही राजग सरकार के सहयोगी दलों के नेता भी मुलाकात करने पहुंचे. संसद भवन में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NCP चीफ शरद पवार, शिवसेना के नेता संजय राउत, समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव, बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा, डीएमके नेता कनिमोझी, TDP के नेता वाईएस चौधरी और राम मोहन नायडू के अलावा राष्ट्रीय जनता दल की नेता मीसा भारती और जेपी यादव से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने को लेकर चर्चा की.
गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दलों से मुलाकात करने के बाद एक सवाल के जवाब में ममता बनर्जी ने कहा कि जब राजनीति से जुड़े लोग मुलाकात करते हैं, तो निश्चित रूप से राजनीति पर चर्चा होगी. यहां कुछ भी छिपा नहीं हैं. साल 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. टीडीपी सांसद , एनडीए से अलग हुए स्वाभिमान शेतकारी संगठन के राजू शेट्टी और राज्यसभा में बीजेडी सांसद अनुभव मोहंती भी अपनी पत्नी के साथ ममता बनर्जी से मुलाकात की.
इस मसले पर फारूक अब्दुल्ला ने ममता बनर्जी की तारीफ की है. साथ ही उनसे मुलाकात करने की बात कही है. एनसीपी चीफ पवार के साथ ममता बनर्जी की मुलाकात करीब एक घंटे तक चली. इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कोलकाता जाकर ममता बनर्जी से थर्ड फ्रंट बनाने की संभावना को लेकर चर्चा की थी, जिसके बाद दोनों नेताओं ने गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी फ्रंट की बात पर जोर दिया था. अब देखना यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एकजुट पार्टियां कहां तक अपने उद्देश्य में सफल होती हैं.