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अब ममता राज में मय की बरसात, शराब डिस्ट्रीब्यूशन के धंधे में उतरेगी प. बंगाल सरकार

राज्य सरकार का लक्ष्य नई बनाए जाने वाली एजेंसी से पहले साल में 150 करोड़ रुपए जुटाने का है. एजेंसी को खड़ा करने के लिए 20 करोड़ रुपए की शुरुआती रकम अलग रखी जा चुकी है. राज्य के वित्त सचिव को नए कॉरपोरेशन का चेयरमैन बनाए जाने की पूरी संभावना है.

शराब वितरण से सरकार को 150 करोड़ की कमाई की आस शराब वितरण से सरकार को 150 करोड़ की कमाई की आस
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 19 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

कैश की किल्लत से जूझ रही ममता बनर्जी सरकार सरकारी राजस्व बढ़ाना चाहती है. इसीलिए अब उसने पश्चिम बंगाल में शराब के डिस्ट्रीब्यूशन के धंधे में उतरने का फैसला किया है. लेकिन पूरे इमकान हैं कि सरकार को इस फैसले पर आलोचना झेलनी पड़े.

सरकार बांटेगी शराब
ममता बनर्जी सरकार ने अब शराब के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए सरकारी क्षेत्र की एजेंसी बनाने का फैसला किया है. सरकार की ओर से वेस्ट बंगाल बेवरेजेस कॉरपोरेशन का गठन किया जा रहा है. इसी के ऊपर भारत निर्मित्त विदेशी शराब (IMFL) और देसी शराब के राज्य भर में डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी रहेगी. पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी लागू है. ऐसे में ममता बनर्जी सरकार का ये कदम राज्य में, खास तौर पर सीमावर्ती इलाकों में शराब की बिक्री को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है.

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पब्लिक सेक्टर की एजेंसी शराब को सीधे निर्माताओं से खऱीदेगी और बंगाल में रिटेलर्स, बार और होटलों को डिस्ट्रीब्यूट करेगी. एक्साइज डिपार्टमेंट के सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासकों को वितरण से पहले शराब के स्टोरेज के लिए गोदामों की जगह चिह्नित करने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं.

खजाना भरने की उम्मीद
राज्य सरकार का लक्ष्य नई बनाए जाने वाली एजेंसी से पहले साल में 150 करोड़ रुपए जुटाने का है. एजेंसी को खड़ा करने के लिए 20 करोड़ रुपए की शुरुआती रकम अलग रखी जा चुकी है. राज्य के वित्त सचिव को नए कॉरपोरेशन का चेयरमैन बनाए जाने की पूरी संभावना है. वहीं एक्साइज सचिव को मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया जा सकता है.

केरल, तमिलनाडु, ओडिशा और कर्नाटक में पहले से ही शराब के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए सरकारी एजेंसियां मौजूद हैं.

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शराब ठेकेदारों में नाराजगी
हालांकि ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले ने राज्य में प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे सैकड़ों लाइसेसधारी शराब वितरकों को नाराज कर दिया है. वेस्ट बंगाल फॉरेन लिकर मैन्यूफैक्चर्स होलसेलर्स और बॉन्डर्स एसोसिएशन ने ममता बनर्जी सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है. एसोसिएशन ने दावा किया कि ये इंडस्ट्री पर करारा प्रहार होगा.

मुख्यमंत्री को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ने कहा है कि कॉरपोरेशन के गठन से होलसेलर्स को अपना कारोबार बंद करना होगा जिसके नतीजे में 5,000 कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. इसके अलावा इस कारोबार से अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े 12,000 लोगों को भी रोजगार खोना पड़ेगा. होलसेलर्स का दावा है कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले ने पहले ही कारोबार की कमर तोड़ रखी है और अब राज्य सरकार का ये फैसला ताबूत में आखिरी कील के समान होगा.

पहले से थी तैयारी
इस फैसले को अमल में लाने से पहले की जमीन तैयार करते हुए राज्य सरकार ने सभी 'ड्राई डे' खत्म कर दिए थे. राज्य में अब साल के लगभग सभी दिनो पर शराब बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगी. बीते साल अगस्त में जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक 12 ड्राई डे को घटाकर 4 कर दिया गया था. साथ ही थ्री स्टार्स और इससे ऊपर के होटलों और क्लबों में पूरा साल शराब सर्व करने की अनुमति थी.

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