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बंगाल: NRC के लिए डाटा जुटाने की अफवाह में भीड़ ने फूंका महिला का घर

एनआरसी को लेकर सियासत के बीच कई जगह इस प्रक्रिया के नाम पर अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं. बीरभूम में जिस एनजीओ वर्कर का घर जला दिया गया, असल में वह लोगों को मोबाइल के इस्तेमाल के बारे में जानकारी मुहैया कराती थी.

महिला के घर की तस्वीर (फोटो- ANI) महिला के घर की तस्वीर (फोटो- ANI)
मनोज्ञा लोइवाल
  • कोलकाता,
  • 23 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST

  • NGO के लिए काम करती थी महिला
  • अफवाह के बाद लोगों ने घर पर किया हमला

देशभर में नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है, ऐसे में कई जगह प्रदर्शन के नाम पर हिंसक घटनाएं भी हुई हैं. ऐसा ही एक मामला पश्चिम बंगाल के बीरभूम से आया है जहां एनआरसी के लिए डाटा जुटाने की अफवाह एक महिला की जान पर बन आई. अफवाह के असर इस कदर हुआ कि गुस्साई भीड़ ने महिला के घर को ही आग लगा डाली.

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मामला बीरभूम के मलारपुर इलाके की है जहां चमकी खातून नाम की महिला एक एनजीओ के लिए काम करती थी. इस एनजीओ के तहत वह गांव-गांव जाकर लोगों को इंटरनेट और मोबाइल फोन के बारे में जागरुक करती थी. चमकी इसके लिए लोगों के डाटा भी जमा करती और प्रोजेक्ट इंटरनेट साथी के तहत ग्रामीणों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल के बारे में जानकारी मुहैया कराती थी.

अफवाह के बाद घर को लगा दी आग

इस बीच इलाके में अफवाह फैल गई की 20 साल की चमकी एनआरसी के लिए डाटा जुटा रही है और इसी वजह से लोगों के जानकारी जमा कर रही है. इसके बाद तो गुस्साए लोगों ने चमकी के घर धावा बोल दिया और उसके घर को आग के हवाले कर दिया. गनीमत यह रही कि इस घटना में किसी की जान नहीं गई. अब चमकी को पुलिस सुरक्षा में रखा गया है और इस घटना के बाद से वह काफी डरी हुई है.

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जानकारी के चमकी गांव की महिलाओं को स्मार्ट फोन के बारे में जानकारी देती और उनके फोटो भी लेती थी. लेकिन जब लोगों ने उससे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही है तो वह सटीक जवाब देने में विफल रही. इसके बाद अफवाह फैली कि चमकी एनआरसी के लिए डाटा जुटा रही है. फिर मंगलवार को बड़ी तादाद उसके घर के बाहर लोग जमा हो गए और बुधवार की सुबह उसका घर जला दिया. हालांकि इस बीच मध्यरात्रि में पुलिस की मदद से घरवालों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में नागरिकता कानून लागू नहीं करने का ऐलान कर चुकी हैं. साथ ही राज्य में एनपीआर की प्रक्रिया को भी रोकने का फैसला किया गया है. दूसरी ओर बंगाल में विपक्ष दल बीजेपी लगातार ममता सरकार पर घुसपैठियों की मदद करने का आरोप लगाते आए हैं. ऐसे में एनआरसी पर जारी सियासत का खामियाजा आम लोगों को भी उठाना पड़ रहा है. 

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