Advertisement

बंगाल पंचायत चुनाव: 40 साल में निर्विरोध जीत का आंकड़ा 34% पहुंचा

राज्य पंचायत चुनाव के नामांकन की शनिवार को आखिरी तारीख थी. समय-सीमा पर विपक्ष के किसी पार्टी के उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया. इसके चलते टीएमसी ने 34 फीसदी सीटों पर निर्विरोध अपना कब्जा हो गया है.

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2018,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के मतदान से पहले ही टीएमसी ने एक तिहाई सीटें अपने नाम कर ली हैं. राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 34.2 फीसदी सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. इस तरह से 58 हजार 692 पंचायत सीटों में 20076 सीटों पर चुनाव नहीं होंगे. इन सीटों पर टीएमसी ने बगैर चुनाव लड़े ही कब्जा हो गया है. पिछले 40 साल में पंचायत चुनाव में निर्विरोध चुने जाने का अब तक का ये सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.

Advertisement

राज्य पंचायत चुनाव के नामांकन की शनिवार को आखिरी तारीख थी. समय-सीमा पर विपक्ष के किसी पार्टी के उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया. इसके चलते टीएमसी ने 34 फीसदी सीटों पर निर्विरोध अपना कब्जा हो गया है.

आयोग के मुताबिक 48650 ग्राम पंचायत सीटों में से 16814 सीटें पर टीएमसी उम्मीदवारों को छोड़कर किसी दूसरे ने नामांकन नहीं किया. ये आंकड़ा 34.6 फीसदी है. जबकि पंचायत समिति की कुल 9217 सीटों में से 3509 यानी 33.2 फीसदी सीटों पर टीएमसी को छोड़कर किसी दूसरे ने पर्चा नहीं भरा. इसी तरह से जिला परिषद सदस्य की 825 सीटों में से 203 सीटों यानी 24.6 फीसदी सीटों पर टीएमसी उम्मीदवार को छोड़कर किसी दूसरे ने नामांकन नहीं किया.

बीरभूम जिले से अधिकतम उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं. यहां अणुव्रत मंडल तृणमूल कांग्रेस की कमान संभालते हैं. बीरभूम जिले में ग्राम पंचायत की 2427 सीटें हैं जिनमें 1967 यानी 87.5 प्रतिशत सीटों पर निर्विरोध प्रत्याशी चुने गए. पंचायत समिति में कुल 465 सीटों में से 87 प्रतिशत यानी 405 सीटें खाली चली गईं. यहां जिला परिषद की सभी 42 सीटें निर्विरोध चुनी गई हैं.

Advertisement

पश्चिम बंगाल के इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पंचायत चुनाव में निर्विरोध सदस्यों का खेल 1978 से चला आ रहा है.1978 में पहली बार पंचायत चुनाव हुआ. तब से लेकर 2017 तक के निर्विरोध चुने गए उम्मीदवारों की गिनती करें तो यह संख्या 23,185 के आसपास बैठती है. 1978 से 2017 तक प्रदेश में 8 पंचायत चुनाव हो चुके हैं. उन 8 चुनाव में जितने उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए, उतने तो सिर्फ इस बार के ही चुनाव से पहले चुन लिए गए हैं.

बता दें कि इतनी अधिक संख्या में सीटों पर निर्विरोध उम्मीदवार चुने गए हैं. इन सभी सीटों पर या तो विपक्षी दलों ने अपना नामांकन वापस ले लिया या उनके उम्मीदवारों के पर्चे पूरे नहीं थे.कुछ ऐसा ही वाकया पिछली सरकार के दौरान हुआ था जब 2003 में लेफ्ट की सरकार में 6800 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement