
मौसम विभाग के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ने दस्तक दे दी है. इस वेदर सिस्टम का असर अगले दो दिनों तक बने रहने की संभावना है. ऐसा कहा जा रहा है कि मौजूदा डब्ल्यूडी बहुत ज्यादा ताकतवर नहीं है लेकिन इसकी वजह से ऊंचाई वाले इलाकों के साथ-साथ कश्मीर घाटी में मौसम बदलने की खासी संभावना है. डब्ल्यूडी का सबसे ज्यादा असर 4 नवंबर को देखा जाएगा. इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगले 24 घंटों में जम्मू-कश्मीर के तमाम इलाकों में मौसम करवट लेगा, लेकिन इस वेदर सिस्टम का असर उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में फिलहाल नहीं दिखेगा.
मौसम विभाग के डायरेक्टर आर विशेन के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में दस्तक देने वाला वेस्टर्न डिस्टर्बेंस थोड़ा कम ताकतवर है लिहाजा इसका मुख्य असर जम्मू और कश्मीर में ही दिखेगा. इसके अलावा हिमाचल के कश्मीर से लगे जनजातीय इलाकों में भी बादलों की आवाजाही के बीच हल्की बारिश या बर्फबारी की संभावना बताई जा रही है. इस वेदर सिस्टम का सबसे ज्यादा असर कश्मीर घाटी के असापास के ऊंचाई वाले इलाकों में देखने को मिलेगा. लेकिन इस वजह से भारी बारिश या बर्फबारी की आशंका कतई नहीं है.
कश्मीर घाटी के तापमान की बात करें तो यहां पर रात के तापमान फिलहाल थोड़ा ऊपर उठ जाएंगे लेकिन दिन के तापमान में थोड़ी गिरावट देखी जाएगी. लेकिन जब ये वेदर सिस्टम आगे निकल जाएगा तो 5 तारीख से कश्मीर के तमाम इलाकों में तापमान में गिरावट का सिलसिला शुरू हो जाएगा.
कमजोर वेस्टर्न सिस्टम का दूसरा बड़ा असर पंजाब और हरियाणा के मौसम पर भी नजर आएगा लेकिन ये असर बारिश या बादल के तौर पर नहीं बल्कि यहां पर अगले 48 घंटों तक नमी की मात्रा बढ़ने की वजह से कई इलाकों में कोहरे की स्थिति थोड़ा बिगड़ जाएगी. इन इलाकों में पहले से वातावरण में मौजूद वायू प्रदूषण की वजह से स्मॉग की स्थिति अगले दो दिनों तक बनी रहेगी. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस समय हवा एकदम शांत है और यहां पर हवाएं ऊपर से नीचे की तरफ बैठ रही हैं. इस वजह से वायु प्रदूषण इसी इलाके में फंसा हुआ है. इस स्थिति को मौसम विज्ञान की भाषा में एंटी साइक्लोनिक कंडीशन कहते हैं. मौसम विभाग के मुताबिक इस समय पूरे इलाके में एक से डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई पर हवा में ठहराव है लेकिन ये स्थिति 5 नवंबर के बाद बदलेगी और इसी के साथ उत्तर भारत के तमाम इलाकों में स्मॉग की स्थिति में सुधार आएगा और इससे निजात मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.